भारतीय राजदूत पार्वथानेनी हरीश ने कश्मीर पर पाकिस्तान की निरंतर बयानबाजी की कड़ी निंदा की। उन्होंने पाकिस्तान के दावों को निराधार बताया और जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बताया। पार्वथानेनी ने पाकिस्तान की कट्टरपंथी मानसिकता पर भी चिंता व्यक्त की। पाकिस्तान अपनी हरकतों से पीछे नहीं हट रहा है। वह हर दिन कश्मीर को लेकर नकारात्मक बातें करते रहते हैं, भले ही इसके लिए उन्हें पूरी दुनिया के सामने अपमानित होना पड़े। इसके बाद भी वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं और जम्मू-कश्मीर को लेकर बयानबाजी करते रहते हैं।
भारत ने जम्मू-कश्मीर और इस्लामोफोबिया पर पाकिस्तान की टिप्पणियों की कड़ी निंदा की
भारत ने जम्मू-कश्मीर और इस्लामोफोबिया पर पाकिस्तान की टिप्पणियों की कड़ी निंदा की। अमेरिका में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पार्वथानेनी हरीश ने इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए आयोजित एक बैठक में भारत का बयान देते हुए पाकिस्तान पर कटाक्ष किया। कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान पर हमला करते हुए पर्वतनेनी हरीश ने कहा कि अपनी आदत के अनुसार पाकिस्तान के पूर्व विदेश सचिव ने आज भारतीय केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का अनुचित संदर्भ दिया। बार-बार उल्लेख करने से न तो उनके दावे बदनाम होंगे और न ही सीमा पार आतंकवाद के उनके अभ्यास को उचित ठहराया जा सकेगा। उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान की कट्टरपंथी मानसिकता सर्वविदित है और वास्तविकता अब भी नहीं बदलेगी। जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और भविष्य में भी रहेगा।
हमें कट्टरता और इस्लामोफोबिया के खिलाफ काम करने की जरूरत है: पार्वथानेनी हरीश
पार्वथानेनी हरीश ने कहा कि हमें यह याद रखना चाहिए कि इस्लामोफोबिया के खिलाफ लड़ाई, सभी प्रकार के धार्मिक भेदभाव के खिलाफ व्यापक संघर्ष का केंद्र है। जैसा कि 1981 के घोषणापत्र में सही रूप से चिंता व्यक्त की गई थी। आइए हम एक ऐसे भविष्य की दिशा में काम करें जहां हर व्यक्ति, चाहे वह किसी भी धर्म का हो, गरिमा, सुरक्षा और सम्मान के साथ रह सके। हमें कट्टरता और इस्लामोफोबिया के खिलाफ काम करने की जरूरत है।
पाकिस्तान की मानसिकता सर्वविदित है।
पार्वथानेनी हरीश ने कहा कि इस देश की कट्टर मानसिकता जगजाहिर है और कट्टरता का इसका रिकॉर्ड भी जगजाहिर है। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयासों से यह वास्तविकता नहीं बदलेगी कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा। उन्होंने आगे कहा कि हमने हाल ही में पूजा स्थलों और धार्मिक समुदायों को निशाना बनाकर की जाने वाली हिंसा में चिंताजनक वृद्धि देखी है। यह सिर्फ हमारे लिए चिंता का विषय नहीं है, बल्कि सभी को मिलकर इस पर काम करना चाहिए। हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उग्रवाद को बढ़ावा न मिले।