बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद हिंदू समुदाय कट्टरपंथियों के निशाने पर आ गया है। हिंदू संतों की गिरफ्तारी, मंदिरों पर हमले और धमकियों एवं मारपीट की हजारों घटनाएं सामने आई हैं। इसी बीच, कट्टरपंथियों ने राजधानी ढाका में एक नया प्रदर्शन शुरू किया है। एक संगठन ने होटल मालिकों को चेतावनी दी है कि यदि उनके यहां गोमांस नहीं परोसा गया तो होटल का बहिष्कार कर दिया जाएगा। यह प्रदर्शन ढाका के गुलिस्तान गोलाप शाह मजार के पास आयोजित किया गया था, जिसमें मुस्लिम भोक्ता अधिकार परिषद के सदस्य शामिल थे।
प्रदर्शनकारी कट्टरपंथियों का कहना है कि बांग्लादेश में गोमांस को पसंद किया जाता है, इसलिए हर होटल में बीफ उपलब्ध होना चाहिए। ढाका में कुछ होटल ऐसे हैं जहां हिंदू ग्राहकों की वजह से बीफ नहीं परोसा जाता है, लेकिन कट्टरपंथियों का कहना है कि हिंदुओं के कारण लोगों के खाने के अधिकार से समझौता किया जा रहा है। उनका आरोप है कि होटल मालिक बांग्लादेश को भारत जैसा बनाना चाहते हैं।
प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि अगर किसी होटल में गोमांस नहीं परोसा गया, तो उसे बीजेपी (भारत के सत्ताधारी दल) का समर्थक माना जाएगा। वहीं, जिन होटलों में बीफ परोसा जाएगा, उन्हें ही “देशभक्त” माना जाएगा। इसके दबाव में दो होटलों ने अपने मेन्यू में गाय का मांस शामिल किया है।
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचार की खबरें पूरी दुनिया में फैल चुकी हैं। कई देशों में हिंदू अधिकारों के लिए प्रदर्शन किए गए हैं। ब्रिटेन में लेबर पार्टी की नेता पुष्पिता गुप्ता ने कहा कि यदि हिंदुओं को अधिकार नहीं दिए जा सकते, तो उनके लिए एक अलग देश बना देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को रोकने में नाकाम रहे हैं, और बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की आबादी लगातार घट रही है।
इस बीच, बांग्लादेश में गिरफ्तार हिंदू पुजारी चिन्मय दास के मामले में विदेश मंत्रालय ने कहा कि कोर्ट में निष्पक्ष सुनवाई होनी चाहिए। आरोप हैं कि चिन्मय दास को झूठे आरोपों में गिरफ्तार किया गया है, और अब उन्हें जेल में रखने के लिए साजिश की जा रही है।
बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा को लेकर इस्कॉन कोलकाता ने अपनी नियमित प्रार्थनाएं शुरू की हैं। अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (इस्कॉन) के प्रवक्ता राधारमण दास ने कहा कि वे बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और वहां बंद हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की रिहाई के लिए अपनी प्रार्थनाएं तब तक जारी रखेंगे जब तक वहां की स्थिति सामान्य नहीं हो जाती।