Income Tax Return: क्या आपको भी दो फॉर्म-16 जारी हुए हैं? जानिए ऐसा कब होता है और ऐसी स्थिति में आपको क्या करना चाहिए..

इनकम टैक्स रिटर्न यानी ITR दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2024 नजदीक आ रही है। किसी भी नौकरीपेशा व्यक्ति के लिए ITR दाखिल करना सबसे आसान होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वह अपने निवेश की जानकारी पहले ही अपनी कंपनी को दे देता है और उसकी कंपनी टैक्स (TDS) काटकर उसे सैलरी देती है। इसके बाद कंपनी फॉर्म-16 जारी करती है, जिसका इस्तेमाल करके आप चुटकियों में ITR दाखिल कर सकते हैं। लेकिन क्या होगा अगर आपको 2 अलग-अलग फॉर्म-16 जारी किए जाएं? आखिर उस स्थिति में आप ITR कैसे दाखिल करेंगे?

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2 फॉर्म-16 कब जारी किए जाते हैं?
फॉर्म-16 हर कर्मचारी के नियोक्ता द्वारा जारी किया जाता है। ऐसे में अगर किसी व्यक्ति ने एक साल में दो जगहों पर काम किया है तो उसके पास भी 2 फॉर्म-16 होंगे। मान लीजिए आपने एक वित्तीय वर्ष में 2 जगहों पर काम किया है तो आपके पास उस साल दो फॉर्म-16 होंगे।

अगर आपने एक ही साल में 3 बार नौकरी बदली है तो आपको तीनों कंपनियों से एक-एक फॉर्म-16 जारी किया जाएगा। यानी आपके पास 3 फॉर्म-16 होंगे। यानी एक वित्तीय वर्ष में आप जितनी बार नौकरी बदलेंगे, आपको उतने ही फॉर्म-16 जारी
किए जाएंगे।

फॉर्म-16 क्या है?
फॉर्म-16 से पता चलता है कि आप पर कितना टैक्स लगाया गया है और आपने किन-किन कटौतियों का लाभ उठाया है। इसमें आपको मिलने वाली सैलरी, उस पर लगने वाले टैक्स, आपकी आय का स्रोत और सभी तरह की कटौतियों की जानकारी होती है।

फॉर्म 16 के दो भाग होते हैं
फॉर्म-16 के दो भाग होते हैं। इनमें से एक भाग ए (फॉर्म 16 पार्ट ए) और दूसरा भाग बी (फॉर्म 16 पार्ट बी) होता है। भाग ए में कंपनी का टैन, कंपनी का पैन, कर्मचारी का पैन, पता, आकलन वर्ष और रोजगार की अवधि होती है। इसके अलावा इसमें सरकार को जमा किए गए टीडीएस का ब्योरा भी दिया जाता है।

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पार्ट बी बहुत महत्वपूर्ण है
अगर फॉर्म-16 के पार्ट बी की बात करें तो इसमें सैलरी ब्रेकअप समेत टैक्स की जानकारी होती है। इसमें बताया जाता है कि आपकी ग्रॉस सैलरी कितनी है, आपकी नेट सैलरी कितनी है, आपको कितना हाउस रेंट अलाउंस मिला है और आपके पीएफ अकाउंट में कितना पैसा गया है। साथ ही, आपको यह भी पता चलता है कि आपकी सैलरी पर कितना प्रोफेशनल टैक्स लगता है और अलग-अलग सेक्शन के तहत आपको क्या-क्या छूट मिलती है। इसमें आपके निवेश की जानकारी भी होती है, आपने मेडिकल में क्या निवेश किया है, आपने बचत योजना में कितना पैसा लगाया है और आपको कौन-कौन सी अन्य टैक्स छूट मिली है।