आयकर विभाग का बड़ा फैसला- अब आम बोलचाल की भाषा में भेजा जाएगा नोटिस

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सीबीडीटी के चेयरमैन रवि अग्रवाल ने इनकम टैक्स को लेकर सीएनबीसी आवाज़ से एक्सक्लूसिव बातचीत की है। इस बातचीत के दौरान रवि अग्रवाल ने कहा कि देश में जितने भी टैक्सपेयर्स हैं, उनमें से सिर्फ 0.1% को ही टैक्स नोटिस भेजा जाता है। इसके बाद भी हम वित्त मंत्री ने जो कहा है, उसे लागू करने की कोशिश करेंगे। चेयरमैन रवि अग्रवाल से जब इनकम टैक्स नोटिस की भाषा को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि जहां तक ​​टैक्स नोटिस की भाषा का सवाल है, इस पर काम शुरू हो चुका है।

उन्होंने कहा कि आयकर अधिनियम 1961 का है और इसमें कई चीजें पुराने अधिनियम से ली गई हैं। इस कारण आज भी वही कानूनी भाषा इस्तेमाल की जा रही है। आयकर विभाग लगातार करदाताओं के साथ दोस्ताना रवैया अपना रहा है। आयकर अधिनियम की व्यापक समीक्षा की जा रही है। इस समीक्षा में इन सभी बातों को शामिल किया जाएगा और टैक्स नोटिस को आम बोलचाल की भाषा में बनाने का प्रयास किया जाएगा।

कार्रवाई शुरू हुई

रवि अग्रवाल ने आगे कहा कि हमने आयकर अधिनियम की व्यापक समीक्षा के लिए एक आंतरिक समिति बनाई है। समिति ने काम करना शुरू कर दिया है। अग्रवाल ने कहा कि हमें उम्मीद है कि समीक्षा के लिए 6 महीने की समयावधि के भीतर काम पूरा हो जाएगा।

वित्त मंत्री की सलाह

देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आयकर अधिकारियों को सलाह दी है कि वे करदाताओं को नोटिस या कोई भी पत्र भेजते समय आसानी से समझ में आने वाली भाषा का इस्तेमाल करें। उन्होंने कहा कि अधिक तकनीकी और कानूनी भाषा के इस्तेमाल से करदाताओं को जवाब देने में दिक्कत होती है।

आयकर अधिकारियों को करदाताओं से संवाद करते समय बहुत सावधान रहना चाहिए और उनके दृष्टिकोण को दोस्ताना बनाने का प्रयास करना चाहिए। लगभग 72% लोग पुरानी आयकर प्रणाली से नई कर प्रणाली में स्थानांतरित हो चुके हैं। यह अपने आप में नई कर प्रणाली की सफलता को दर्शाता है। पिछले साल 58.57 लाख नए करदाताओं ने रिटर्न दाखिल किया है।