केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने सभी करदाताओं को सलाह दी है कि वे अपना आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने से पहले अपनी विदेशी आय और परिसंपत्तियों की समीक्षा करें और फिर उसी आधार पर जानकारी भरें।
आयकर विभाग के विशेष संस्करण ‘संवाद’ में करदाताओं को यह सलाह दी गई। करदाताओं को जागरूक करने के लिए यह अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान के अनुसार करदाता को सावधानीपूर्वक समीक्षा करने के बाद ही आईटीआर में विदेशी आय और संपत्ति के बारे में जानकारी देनी चाहिए।
सत्र के दौरान सीबीडीटी आयुक्त (जांच) शशि भूषण शुक्ला ने कहा कि सभी भारतीय नागरिकों को अपने बैंक खातों, अचल संपत्ति, शेयर, बीमा पॉलिसियों सहित विदेशी संपत्तियों के बारे में जानकारी देनी होगी।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि आयकर विभाग ने आईटीआर फॉर्म “विदेशी संपत्ति और आय” में चरण-दर-चरण गाइड दिया है। इस गाइड की मदद से वे विदेशी आय और संपत्ति के बारे में जानकारी दे सकते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह नियम निवासी करदाताओं पर लागू होता है। आयकर अधिनियम की धारा 6 में इस बारे में जानकारी दी गई है।
शुक्ला ने स्पष्ट किया कि नियमों के अनुसार, निवासी करदाता वह है जो पिछले वर्ष के दौरान कम से कम 182 दिनों तक भारत में रहा हो या जो पिछले चार वर्षों के दौरान 365 दिनों तक भारत में रहा हो। यदि कोई करदाता इन मानदंडों को पूरा नहीं करता है, तो उसे अनिवासी माना जाएगा। गैर-निवासियों को विदेशी आय और संपत्ति घोषित करने की आवश्यकता नहीं है।
भ्रम दूर हुआ
कई बार ऐसे करदाता जिनके पास कोई विदेशी आय या संपत्ति नहीं होती, फिर भी वे आईटीआर में इसकी जानकारी दे देते हैं। इस भ्रम को खत्म करने के लिए शुक्ला ने पूरी तरह स्पष्ट किया कि किन करदाताओं को विदेशी संपत्ति और आय के बारे में जानकारी देनी होगी। उन्होंने यह भी बताया कि अगर किसी करदाता ने विदेश में कोई संपत्ति खरीदी है और उससे उसे कोई आय नहीं हो रही है, तो भी उस संपत्ति के बारे में आईटीआर में जानकारी देनी होगी।
अगर कोई NRI भारत आता है और उसे भारतीय नागरिकता मिल जाती है तो उसे अपनी विदेशी संपत्ति और आय की जानकारी भी देनी होगी। यह नियम उन विदेशी नागरिकों पर भी लागू होता है जब वे भारत के नागरिक बन जाते हैं।