Income Tax Changes: आयकर से जुड़े नियम बदलेंगे, कानून की 90 से ज्यादा धाराएं हो सकती हैं खत्म, सरकार ने बनाया पैनल

आने वाले दिनों में आयकर नियमों में बड़े बदलाव किए जा सकते हैं। सरकार ने प्रत्यक्ष कर नियमों को आसान बनाने के लिए एक पैनल बनाया है। कहा जा रहा है कि पैनल के सुझावों के आधार पर कई नियमों को खत्म किया जा सकता है।

90 से अधिक धाराएं अप्रासंगिक हो गईं

बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी रिपोर्ट के मुताबिक पैनल का मानना ​​है कि आयकर अधिनियम 1961 की 90 से ज्यादा धाराएं अप्रासंगिक हो गई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन रवि अग्रवाल की निगरानी में पिछले कुछ दिनों में हुई चर्चा में यह बात सामने आई है। चर्चा में माना गया है कि समय के साथ 90 से ज्यादा धाराएं अपनी प्रासंगिकता खो चुकी हैं। चर्चा से जुड़े अधिकारियों के हवाले से रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।

कराधान को सरल बनाने के लिए पैनल

यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब वित्त मंत्रालय आयकर नियमों को सरल बनाने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने मुख्य आयकर आयुक्त वीके गुप्ता के नेतृत्व में एक पैनल बनाया है। पैनल को दशकों पुराने आयकर कानून को सरल बनाने के लिए सुझाव देने का काम दिया गया है।

छूट और कटौतियों पर प्रारंभिक चर्चा

बताया जा रहा है कि पैनल में शुरुआती चर्चा आयकर अधिनियम के तहत मिलने वाली छूट और आयकर अपील जैसे मुद्दों पर केंद्रित है। पैनल का ध्यान आयकर छूट को तर्कसंगत बनाने, गणना के तरीकों को वैश्विक मानकों के स्तर पर ले जाने और अपील प्रणाली को कम थकाऊ बनाने पर है। रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि पैनल विशेष आर्थिक क्षेत्र, दूरसंचार, पूंजीगत लाभ समेत छूट और कटौतियों पर केंद्रित है।

बदलाव पहले ही शुरू हो चुके हैं

आपको बता दें कि सरकार ने नई कर व्यवस्था के साथ आयकर प्रणाली में व्यापक बदलाव शुरू कर दिए हैं। सरकार प्रत्यक्ष कराधान यानी आय पर लगाए जाने वाले कर की व्यवस्था को सरल बनाने की कोशिश कर रही है, जिसमें कटौती और छूट कम से कम हो। अगर ऐसा होता है तो करदाताओं के लिए आसानी होगी। पहले से मौजूद पुरानी कर व्यवस्था में कई तरह की छूट और कटौती का प्रावधान है। सरकार का मानना ​​है कि छूट और कटौती पुरानी कर व्यवस्था को जटिल बनाती है। इसी वजह से नई कर व्यवस्था शुरू की गई है, जिसमें कम छूट और कटौती का प्रावधान है, लेकिन करदाताओं को तुलनात्मक रूप से कम कर दर का लाभ मिलता है।