मस्जिद में ‘जय श्री राम’ नारे का मामला: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा – ये अपराध कैसे हुआ?

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सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम सुनवाई के दौरान पूछा कि मस्जिद में ‘जय श्री राम’ का नारा लगाना आखिर अपराध कैसे हो गया। यह सवाल सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान किया, जिसमें हाईकोर्ट ने मस्जिद में नारे लगाने वाले दो व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज केस को खारिज कर दिया था।

इस याचिका को मस्जिद के केयरटेकर ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी करने से इनकार किया और याचिका की कॉपी राज्य सरकार को देने का निर्देश दिया। इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2024 में होगी।

कर्नाटक हाईकोर्ट ने क्यों रद्द की थी FIR?

कर्नाटक हाईकोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने की शिकायत को खारिज कर दिया था।

  • FIR के आरोप:
    दो लोगों पर आरोप था कि उन्होंने कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के ऐथुर गांव की बदरिया जुम्मा मस्जिद में घुसकर ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए।
  • IPC धाराएं:
    पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 295A (धार्मिक भावनाएं आहत करना), धारा 447 (अवैध प्रवेश) और धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया था।

13 सितंबर 2023 को कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने केस को रद्द करते हुए कहा कि यह समझ से परे है कि ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने से किसी की धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं।

सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता हैदर अली की ओर से वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत पेश हुए। उन्होंने दलील दी कि पुलिस की ओर से FIR दर्ज होने के मात्र 20 दिनों के भीतर ही कर्नाटक हाईकोर्ट ने केस खारिज कर दिया, जबकि जांच अभी जारी थी।सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी:

  • जस्टिस संदीप मेहता ने सवाल किया, “अगर वे लोग कोई खास नारा भी लगा रहे थे, तो यह अपराध कैसे हो सकता है?”
  • जस्टिस पंकज मित्तल और संदीप मेहता की बेंच ने यह भी पूछा कि:
    • क्या आरोपियों की पहचान हो चुकी है?
    • क्या केवल मस्जिद के पास मौजूदगी से साबित हो जाता है कि उन्होंने नारे लगाए?

कामत ने बताया कि CCTV फुटेज के आधार पर आरोपियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया गया है।

याचिकाकर्ता का पक्ष

वकील देवदत्त कामत ने कहा कि:

  • जांच करना और सबूत जुटाना पुलिस का काम है।
  • FIR में अपराध की शुरुआती जानकारी होती है, न कि सबूतों का पूरा ब्यौरा।
  • हाईकोर्ट ने जांच पूरी होने से पहले ही केस रद्द कर दिया, जो सही नहीं है।

मामले के मुख्य तथ्य

  1. क्या घटना घटी:
    • आरोप है कि दो व्यक्तियों ने मस्जिद में घुसकर ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए और मुस्लिम समुदाय को धमकी दी।
  2. कानूनी धाराएं:
    • IPC की धारा 295A (धार्मिक भावनाएं आहत करना)
    • धारा 447 (अवैध प्रवेश)
    • धारा 506 (आपराधिक धमकी)
  3. हाईकोर्ट का फैसला:
    • कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि नारे लगाने से सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की संभावना नहीं है।