जबलपुर, 12 जुलाई (हि.स.)। कलेक्टर द्वारा की गई कार्रवाई के दौरान 11 स्कूलों के खिलाफ फिर दर्ज हुई थी। इसके बाद कुछ आरोपी जेल चले गए थे। इन्हीं में से चार प्राचार्यों को आज मध्यप्रदेश हाईकोर्ट से जमानत का लाभ मिल गया। न्यायाधीश मनिंदर सिंह भट्टी ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा प्रिंसिपल और कर्मचारी कभी न कभी रिटायर होंगे और इनका मकसद किसी को फायदा पहुंचाना नहीं है। इसलिए इनको जेल में नहीं रखा जाना चाहिए। इसके साथ ही न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह जुर्म अगर बनता है भी तो सिर्फ सोसाइटी के मुख्य प्रबंधक पर बन सकता है। इस प्रकार न्यायालय ने कुल 12 लोगों को जिनमें 4 प्राचार्य भी शामिल है को जमानत का लाभ दे दिया है।
याचिकाकर्ता के वकील हर्षित वारी के अनुसार उन्होंने न्यायालय के सामने पक्ष रखते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के ऊपर एफआईआर में जो आरोप लगाए गए हैं, वे बेबुनियाद हैं क्योंकि यह आरोप प्राचार्य के ऊपर लागू ही नहीं होते। वकील ने दलील दी कि ये आरोप प्राचार्यों पर नहीं बल्कि स्कूल के मुख्य प्रबंधक के ऊपर लागू होते हैं। क्योंकि इनके ऊपर अनावश्यक फीस का एफआईआर में जिक्र नहीं किया गया है और जो आईएसबीएन नंबर के सम्बन्ध में फर्जीवाड़े का आरोप लगाया था वह प्राचार्यों और कर्मचारियों के ऊपर दूर-दूर तक नहीं लगता। स्कूल कर्मचारी निर्णय लेने की व्यवस्था का हिस्सा नहीं होता है और ना ही उनका निर्णय की कोई बाध्यता होती है। इसलिए उनको गिरफ्तार करना बिल्कुल अनावश्यक है। तर्कों को सुनाने के बाद न्यायालय के आरोपियों को जमानत का लाभ दिया।
कुछ निजी स्कूलों द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से फीस बढ़ाने और पुस्तक विक्रेताओं के साथ साठगांठ कर अभिभावकों को तय दुकान से किताब कॉपियां खरीदने के लिए बाध्य किया गया। इस बात की सैकड़ों की संख्या में शिकायत मिलने और फिर जाँच के दौरान पुख्ता सबूत मिलने पर जिला प्रशासन की जांच में भी ये सारे तथ्य उजागर हुए थे। जिसके बाद 11 निजी स्कूलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। जिन लोगों को आरोपी बनाया गया था उनमें संचालक,प्रिंसिपल एवं अन्य स्टाफ को गिरफ्तार करते हुए न्यायालय में पेश किया गया। जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया था