महाकुंभ में इस बार ऐसे साधु-संत शामिल हुए, जिनकी भक्ति, साधना, और जीवनशैली ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया। ये साधु न केवल सनातन धर्म के प्रति समर्पित हैं, बल्कि उनके अनोखे कार्य समाज और पर्यावरण के प्रति उनकी जिम्मेदारी को भी दर्शाते हैं।
1. बवंडर बाबा: 1 लाख किमी की धार्मिक यात्रा
बवंडर बाबा ने देशभर में 1 लाख किलोमीटर की यात्रा करते हुए सनातन धर्म का प्रचार किया।
- मिशन: हिंदू देवताओं के प्रति अपमान का विरोध और धार्मिक जागरूकता फैलाना।
- महाकुंभ में योगदान: उनकी उपस्थिति ने श्रद्धालुओं में धर्म की रक्षा और आस्था के प्रति प्रेरणा जगाई।
2. स्प्लेंडर बाबा: 14 दिनों की मोटरसाइकिल यात्रा
स्प्लेंडर बाबा ने गुजरात से महाकुंभ तक तीन पहियों वाली मोटरसाइकिल से 14 दिनों में यात्रा की।
- उद्देश्य: अपनी भक्ति और आस्था का प्रदर्शन।
- चुनौतियां: यात्रा के दौरान कई कठिनाइयों का सामना किया लेकिन अपनी निष्ठा को बनाए रखा।
3. ई-रिक्शा बाबा: सौर ऊर्जा से संचालित वाहन
ई-रिक्शा बाबा का वाहन न केवल यात्रा का साधन है, बल्कि यह उनके घर और साधना स्थल के रूप में भी काम करता है।
- खासियत:
- ई-रिक्शा सौर ऊर्जा से चलता है।
- इसमें किचन और ध्यान करने की जगह है।
- संदेश: बाबा पर्यावरण जागरूकता और धर्म के महत्व को लोगों तक पहुंचाते हैं।
4. चाबी वाले बाबा: “राम नाम की चाबी” का संदेश
चाबी वाले बाबा एक 20 किलोग्राम की विशाल चाबी लेकर चलते हैं।
- चाबी का महत्व:
- यह “राम नाम की चाबी” है, जो आंतरिक शांति और आत्म-संयम का प्रतीक है।
- बाबा इसे मानसिक शांति प्राप्त करने का मार्ग बताते हैं।
5. एंबेसडर बाबा: 1972 मॉडल कार में आध्यात्मिक यात्रा
एंबेसडर बाबा के पास एक 1972 मॉडल की एंबेसडर कार है, जो उनके घर और यात्रा का साथी है।
- उद्देश्य: भारत के विभिन्न हिस्सों में धार्मिक संदेश फैलाना।
- विशेषता: परंपराओं और आधुनिकता का अनोखा मिश्रण।
6. रुद्राक्ष बाबा: 11,000 रुद्राक्षों के साथ भक्ति
रुद्राक्ष बाबा अपने शरीर पर 11,000 रुद्राक्ष धारण करते हैं।
- भक्ति: भगवान शिव के प्रति उनकी अडिग आस्था का प्रतीक।
- लाभ:
- धार्मिक और आध्यात्मिक शक्ति।
- मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान।
7. दिगंबर नागा बाबा: 5 साल से उठाए रखा हाथ
दिगंबर नागा बाबा पिछले 5 सालों से अपना हाथ उठाए हुए हैं।
- तपस्या का उद्देश्य:
- सनातन धर्म की रक्षा।
- भगवान के प्रति आत्मसमर्पण।
- संदेश: यह उनकी गहरी आस्था और तपस्या का प्रतीक है।
8. खड़ेश्वर नागा बाबा: 12 साल से खड़े होकर तपस्या
खड़ेश्वर नागा बाबा पिछले 12 सालों से लगातार खड़े होकर तपस्या कर रहे हैं।
- उद्देश्य:
- आध्यात्मिक साधना।
- पर्यावरण संरक्षण पर जोर।
- संदेश: प्लास्टिक का उपयोग बंद करें और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्थायी दुनिया बनाएं।
9. छोटू बाबा: 32 साल से बिना स्नान के तपस्या
छोटू बाबा ने पिछले 32 सालों से स्नान न करने का व्रत लिया हुआ है।
- तपस्या का कारण:
- आत्मा की शुद्धि।
- भगवान के प्रति ध्यान केंद्रित करना।