संभल में शाही जामा मस्जिद के सामने खाली भूमि पर विवाद, अदालत में नया दावा पेश

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यूपी के संभल जिले में शाही जामा मस्जिद के सामने स्थित खाली भूमि को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। इस मामले में अब एक नया मोड़ आ गया है। जामा मस्जिद के पास रहने वाले कश्यप समाज के प्रेमशंकर नामक व्यक्ति ने अदालत में दावा किया है कि यह भूमि वास्तव में एक प्राचीन मठ की है, जिसे सांप्रदायिक दंगों के दौरान उजाड़ दिया गया था। प्रेमशंकर ने न्यायालय में एक प्रार्थना पत्र दायर कर इस मामले में स्वयं को पक्षकार बनाए जाने की मांग की है।

सरकारी भूमि पर पुलिस चौकी निर्माण जारी, वक्फ संपत्ति होने के दावे खारिज

शाही जामा मस्जिद के सामने स्थित भूमि के बगल में सरकारी भूमि पर सत्यव्रत पुलिस चौकी का निर्माण किया जा रहा है। इससे पहले इस भूमि को वक्फ संपत्ति बताया जा रहा था, लेकिन जांच में यह सरकारी निकली। वहीं, चौकी के बगल की भूमि को शाही जामा मस्जिद कमेटी के सचिव मशहूद अली फारूकी और अरमान आजम अपनी निजी संपत्ति बता रहे हैं, जिसको लेकर अदालत में मामला चल रहा है।

प्रेमशंकर का दावा: भूमि पर पहले था प्राचीन मठ

इस विवाद के बीच कोट पूर्वी निवासी प्रेमशंकर पुत्र फग्गन लाल ने सिविल जज संभल की अदालत में एक प्रार्थना पत्र दाखिल कर दावा किया है कि विवादित भूमि पर पहले एक प्राचीन मठ था। उनका कहना है कि इस भूमि के आधे भाग में एक फुट ऊंचा चबूतरा भी था, लेकिन सांप्रदायिक दंगों के चलते इसकी देखभाल नहीं हो सकी।

प्रेमशंकर ने आरोप लगाया है कि कुछ लोग अब इस भूमि पर अवैध कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि भूमि पर दावा करने वाले लोग फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर इसे हड़पना चाहते हैं। प्रेमशंकर ने यह भी सवाल उठाया कि अगर वादी 2007 से इस जमीन का मालिक था, तो उसने अब तक वहां कोई निर्माण क्यों नहीं करवाया? उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वादी एक प्रभावशाली भूमाफिया और अधिवक्ता है, जो न्यायालय को गुमराह कर अपने पक्ष में आदेश प्राप्त करना चाहता है।

प्रशासन ने शांति बनाए रखने की अपील की

इस मामले में न्यायालय का फैसला बेहद अहम होगा। प्रशासन ने सभी पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील की है। कश्यप समाज पहले ही इस भूमि को लेकर अपनी मांगें प्रशासन के समक्ष रख चुका है। इलाके में बढ़ते तनाव को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है और पुलिस बल की तैनाती बढ़ा दी गई है।

कश्यप समाज ने पहले भी किया था दावा

इस भूमि को लेकर पहले भी कश्यप समाज के लोग दावा कर चुके हैं। 30 दिसंबर को गोपाल कश्यप, मीनू, राजेश, जगदीश कुमार, अर्चना, मंगत, मोहित कश्यप, शशांक कश्यप और अन्य लोगों ने इस भूमि को प्राचीन देवस्थान बताते हुए अपना हक जताया था। समाज के लोगों का कहना था कि यहां एक आंवले का पेड़ था, जिसकी विशेष पूजा की जाती थी। लेकिन 1978 के दंगों के दौरान असामाजिक तत्वों ने इसे काट दिया और मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया।

जब कश्यप समाज के लोग इस स्थान पर पूजा करने जाते हैं, तो उन्हें वहां से भगा दिया जाता है। इसको लेकर समाज के लोगों ने एएसपी श्रीशचंद्र को ज्ञापन सौंपकर मांग की थी कि इस भूमि को उनके समाज को वापस दिया जाए और पूजा-पाठ करने की अनुमति दी जाए।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

संभल के जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने कहा कि कश्यप समाज के एक व्यक्ति ने न्यायालय में शाही जामा मस्जिद के सामने और पुलिस चौकी के बगल में स्थित खाली भूमि पर मठ होने का दावा किया है। मामला प्रशासन के संज्ञान में है और यह न्यायालय के अधीन है। इससे पहले भी कश्यप समाज ने इस स्थान को देवी का थान बताया था। प्रशासन ने स्पष्ट किया कि माननीय न्यायालय का निर्णय ही सर्वमान्य होगा।

अब देखना होगा कि अदालत इस विवाद पर क्या निर्णय देती है और प्रशासन क्या रुख अपनाता है। इस बीच, इलाके में बढ़ते तनाव को देखते हुए प्रशासन सतर्क हो गया है और सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।