दिल्ली की कार्यवाहक मुख्यमंत्री आतिशी ने भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) की जीत के बाद राजधानी में पावर कट की घटनाओं को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली के विभिन्न इलाकों से सैकड़ों लोगों ने पावर कट की शिकायत की है, जिसके कारण उन्हें इनवर्टर खरीदने की मजबूरी आई है। आतिशी ने कहा कि सिर्फ तीन दिनों में ही लोगों को यह अहसास हो गया कि उन्होंने गलती की है।
आतिशी ने सोशल मीडिया पर की गई शिकायतों के कुछ दस्तावेज दिखाते हुए कहा कि लोग अपने इलाकों में बिजली कटने की शिकायत कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि तीन दिनों में पावर सेक्टर की स्थिति पूरी तरह से बिगड़ चुकी है, और यह साबित करता है कि आम आदमी पार्टी की सरकार के दौरान बिजली व्यवस्था पूरी तरह से मॉनिटर की जाती थी। उन्होंने बताया कि जैसे ही आम आदमी पार्टी की सरकार हटी, पूरा पावर सेक्टर संकट में आ गया। मयूर विहार में रात को बिजली कटने के बाद उन्हें कई फोन कॉल्स आए, जिसमें लोगों ने बताया कि वे इनवर्टर खरीदने के लिए मजबूर हुए हैं।
दिल्ली में हार के बाद संकट में आम आदमी पार्टी? योगेंद्र यादव ने जताई AAP के टूटने की आशंका
आतिशी ने कहा, “कई लोगों ने मुझसे फोन पर कहा कि अब उन्हें समझ में आ गया है कि शायद चुनाव में उन्होंने गलती की। आम आदमी पार्टी के जाने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा से सरकार चलाना संभव नहीं है।” उन्होंने कहा, “आज तो लोग इनवर्टर ले आए, लेकिन यदि फरवरी में ही इतने लंबे पावर कट हो रहे हैं, तो गर्मी में क्या होगा, जब बिजली की डिमांड 8,000 मेगावाट से ऊपर जाएगी। भाजपा को सरकार चलाने का अनुभव नहीं है।”
आतिशी ने भाजपा की आलोचना करते हुए कहा कि वह दिल्ली को यूपी की तरह बना रही है, जहां पहले बिजली संकट था। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली में बिजली संकट आने से यह साबित हो रहा है कि जहां अरविंद केजरीवाल जैसे पढ़े-लिखे इंजीनियर पावर सेक्टर को समझते हैं, वहीं भाजपा की सरकार फर्जी डिग्रीधारियों की है।
जब उनसे यह सवाल किया गया कि वह अब भी कार्यवाहक मुख्यमंत्री हैं और भाजपा की सरकार अब तक नहीं बनी है, तो आतिशी ने कहा, “8 फरवरी से ही भाजपा ने सरकार चलानी शुरू कर दी थी। काउंटिंग के समय ही उन्होंने आदेश जारी कर दिए थे कि मंत्रियों के दफ्तरों पर ताले लगा दिए जाएं और सचिवालय में उन्हें घुसने न दिया जाए। अब यह साफ हो गया है कि भाजपा 8 तारीख से ही सरकार चला रही है। इसके परिणाम दिल्लीवासियों को अब साफ समझ में आ रहे हैं।”