बिहार में पांचवीं और आठवीं की परीक्षाएं बोर्ड पैटर्न पर होंगी, कमजोर प्रदर्शन पर रोक संभव

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बिहार के करीब 25 लाख छात्र, जो कक्षा 5 और 8 में पढ़ रहे हैं, अब बोर्ड पैटर्न पर वार्षिक परीक्षाएं देंगे। नो डिटेंशन पॉलिसी (बिना फेल किए अगले कक्षा में प्रोन्नति) को समाप्त करने के बाद, अब छात्रों को खराब प्रदर्शन की स्थिति में उसी कक्षा में रोका जा सकता है। इस संबंध में स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी की है।

नया परीक्षा पैटर्न और नियम

  • छात्रों को वार्षिक परीक्षा में बैठना होगा।
  • अगर वे फेल होते हैं, तो परिणाम की घोषणा के दो महीने के अंदर दोबारा परीक्षा देनी होगी।
  • अगर पुनर्परीक्षा में भी असफल होते हैं, तो उन्हें उसी कक्षा में रोक दिया जाएगा।
  • पहले, राज्य सरकारें तय करती थीं कि बच्चों को पास करना है या फेल। अब यह प्रक्रिया केंद्रीकृत होगी।

नो डिटेंशन पॉलिसी: क्या थी और अब क्या बदलाव हुआ?

नो डिटेंशन पॉलिसी:

  • इसके तहत, कक्षा 8 तक किसी भी छात्र को फेल नहीं किया जाता था।
  • इस नीति के अनुसार, प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक बच्चों को अगली कक्षा में प्रोन्नत करना अनिवार्य था।

अब बदलाव:

  • कक्षा 5 और 8 के छात्रों को वार्षिक परीक्षा में पास होना जरूरी होगा।
  • फेल होने पर, उन्हें दो महीने के भीतर पुनर्परीक्षा का मौका मिलेगा।
  • पुनर्परीक्षा में असफल रहने वाले छात्रों को उसी कक्षा में रोक दिया जाएगा।

फेल छात्रों के लिए विशेष व्यवस्था

  1. पुनर्परीक्षा का मौका:
    • वार्षिक परीक्षा में फेल होने पर छात्रों को दो महीने के अंदर पुनर्परीक्षा देनी होगी।
    • इस परीक्षा में सक्षमता आधारित मूल्यांकन होगा।
  2. फेल छात्रों की निगरानी:
    • फेल छात्रों की सूची स्कूल तैयार करेगा।
    • स्कूल उनकी प्रगति की निगरानी करेगा और शिक्षा पूरी होने तक स्कूल से बाहर नहीं निकालेगा।

अभिभावकों और शिक्षकों की भूमिका बढ़ी

केवी कंकड़बाग के शिक्षक अरुण कुमार का कहना है कि नई नीति के बाद:

  • छात्रों को पढ़ाई को लेकर गंभीर होना पड़ेगा।
  • स्कूल कमजोर छात्रों की व्यक्तिगत निगरानी करेंगे।
  • अभिभावकों को भी अपने बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान देना होगा।
  • शिक्षक अभिभावकों से नियमित संपर्क बनाएंगे और उन्हें यह सिखाएंगे कि बच्चों को बेहतर तरीके से पढ़ाई कैसे करानी है।

शिक्षण की गुणवत्ता पर दबाव:

  • छात्रों के बार-बार फेल होने की स्थिति में शिक्षकों के शिक्षण कौशल पर सवाल उठ सकते हैं।
  • इसलिए शिक्षक पहले से ही छात्रों पर ध्यान देंगे और उन्हें पढ़ाई में सुधार के लिए मार्गदर्शन करेंगे।