पैंक्रियाटिक कैंसर: भारत समेत दुनियाभर से पैंक्रियाटिक कैंसर के मरीजों के लिए राहत भरी खबर है। खबर यह है कि अमेरिकी और ब्रिटिश चिकित्सा वैज्ञानिकों ने पहली बार डीएनए (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) में महत्वपूर्ण बदलाव करके अग्नाशय कैंसर के इलाज के लिए एक विशेष प्रकार की दवा-उपचार तैयार किया है।
पूरी दुनिया में अग्नाशय कैंसर के मरीजों की संख्या चिंताजनक रूप से बढ़ रही है। बताया जाता है कि हर साल लगभग 5 लाख मरीजों में यह गंभीर बीमारी विकसित होती है। साथ ही, अग्नाशयशोथ के रोगियों के बचने की संभावना भी बहुत कम होती है। अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में सेलुलर और आणविक फार्माकोलॉजी विभाग के प्रोफेसर केवन शॉकेट और उनकी टीम ने अपने शोध का विवरण देते हुए कहा, ‘हमने अग्नाशय कैंसर के सटीक उपचार के लिए दस साल का खोजपूर्ण अध्ययन किया है। इस अध्ययन के दौरान -के आरएएस। – G12 ने D- नामक अति सूक्ष्म कण (अणु) का रूप मौलिक रूप से बदल दिया है। यही अणु मनुष्यों में अग्नाशय कैंसर का कारण बनता है। हालाँकि, यही अणु फेफड़े, कोलन, स्तन कैंसर का भी कारण बनता है।
बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस नरगिस पैंक्रियाटिक कैंसर की शिकार थीं। 1971 में नरगिस की मृत्यु हो गई। इसके अलावा एप्पल कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टीव जॉब्स की भी 2011 में इसी गंभीर बीमारी के कारण मृत्यु हो गई थी। डॉ. जॉन वैन गेस्ट कैंसर रिसर्च सेंटर, नॉटिंघम ट्रेंट यूनिवर्सिटी, यूके। मारिया हत्ज़ियापोस्टोलोव और उनकी टीम ने बताया कि अग्नाशय का कैंसर HNF4A नामक जीन के प्राकृतिक कामकाज में एक बड़ा व्यवधान पैदा करता है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। नतीजतन, शरीर में कैंसर का ट्यूमर बन जाता है और समय के साथ ट्यूमर बड़ा हो जाता है। अब भविष्य में इस पूरी गंभीर प्रक्रिया में बाधा न आए, इसके लिए बेहतरीन दवा बनाना आसान हो जाएगा।
स्टीव जॉब्स, नरगिस, मनोहर पर्रिकर की मृत्यु अग्नाशय कैंसर से हुई
पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को अग्नाशय कैंसर था. 2019 में उनका निधन हो गया। एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स को भी अग्नाशय कैंसर था। 60 के दशक की बेहद लोकप्रिय अभिनेत्री नरगिस की 1981 में अग्नाशय कैंसर से मृत्यु हो गई। 90 के दशक के मशहूर कॉमेडियन जतिन कांगिया को भी यह कैंसर था। हाल ही में मशहूर गजल गायक पंकज उधास, टीवी एक्टर ऋतुराज सिंह की इसी तरह के कैंसर से मौत हो गई।
केविन शौकत ने वर्षों तक KRAS-G12D पर शोध किया है
अमेरिकी रासायनिक जीवविज्ञानी केविन शौकत एक दशक से KRAS-G12D उत्परिवर्तन पर काम कर रहे हैं। केआरएएस म्यूटेशन पर उनका काम ऐतिहासिक है। बायोजेनेटिक्स रसायन विज्ञान, रासायनिक आनुवंशिकी के क्षेत्र में उनके शोध आगे के शोधों के लिए बहुत उपयोगी साबित हुए हैं। उन्होंने इस साल मार्च में KRAS-G12D म्यूटेशन पर एक महत्वपूर्ण शोध किया और उनका शोध कार्य प्रसिद्ध जर्नल नेचर में प्रकाशित हुआ। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में सेलुलर और आणविक फार्माकोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख केविन शौकत को उनके शोध के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले हैं।