Important instruction of Supreme Court: हिमाचल को बचाएं, राजस्व के लालच में पर्यावरण को न करें बर्बाद
- by Archana
- 2025-08-02 10:18:00
News India Live, Digital Desk: Important instruction of Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश की बिगड़ती पर्यावरणीय स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है। अदालत ने कहा है कि यदि अनियंत्रित विकास और पारिस्थितिक असंतुलन जारी रहा, तो पूरा हिमाचल प्रदेश एक दिन देश के नक्शे से गायब हो सकता है। न्यायाधीशों की एक पीठ ने राजस्व अर्जन को पर्यावरण की कीमत पर नहीं करने की सख्त हिदायत देते हुए कहा कि विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन आवश्यक है।
कोर्ट ने यह टिप्पणी हिमाचल प्रदेश के एक मामले की सुनवाई के दौरान की, जहां याचिकाकर्ता एक होटल समूह ने ग्रीन क्षेत्र घोषित किए जाने पर निर्माण की अनुमति न मिलने के खिलाफ अदालत का रुख किया था। शीर्ष अदालत ने न केवल उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा, बल्कि हिमाचल प्रदेश के नाजुक हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र को लेकर अपनी चिंताएं भी जताईं।अदालत ने माना कि प्रदेश में स्थिति बद से बदतर होती जा रही है और जलवायु परिवर्तन का "स्पष्ट और चिंताजनक प्रभाव" राज्य पर पड़ रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूस्खलन, बाढ़ और इमारतों के ढहने के लिए केवल प्रकृति को दोष देना सही नहीं है। पीठ के अनुसार, पहाड़ों और मिट्टी का खिसकना, सड़कों का धँसना, घरों और इमारतों का गिरना जैसे कारणों के लिए इंसान जिम्मेदार हैं। अदालत ने प्रमुख रूप से पनबिजली परियोजनाओं, चार-लेन सड़कों, वनों की कटाई, बहुमंजिला इमारतों के निर्माण और अनियंत्रित पर्यटन को इसके लिए उत्तरदायी ठहराया। न्यायाधीशों ने कहा कि यदि ऐसी ही गतिविधियां जारी रहीं तो वह दिन दूर नहीं जब पूरा प्रदेश देश के नक्शे से गायब हो जाएगा, साथ ही यह भी कहा कि भगवान ऐसा होने से रोके।
शीर्ष अदालत ने राज्य और केंद्र सरकारों से ऐसे निर्माणों को रोकने और भविष्य की प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए एक विस्तृत कार्य योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रकृति निश्चित रूप से राज्य में चल रही गतिविधियों से "नाराज" है।
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