बॉम्बे हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी: पत्नी को पैसे लाने को कहने को दहेज उत्पीड़न नहीं माना

Bombay High Court 1737016701271

बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक दहेज उत्पीड़न मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। न्यायमूर्ति विभा कणकनवाड़ी और रोहित जोशी की खंडपीठ ने कहा कि “पत्नी से यह कहना कि वह अपने पति के साथ तब तक नहीं रह सकती जब तक कि वह अपने माता-पिता से पैसे लेकर न आए,” इसे उत्पीड़न नहीं माना जा सकता।

कोर्ट ने कहा कि यदि किसी महिला को उसके पति या ससुराल वालों द्वारा यह कहा जाए कि वह अपने मायके से मांगी गई राशि लाने में असमर्थ है, तो उसे पति के साथ सहवास का अधिकार नहीं मिलेगा। यह मानसिक या शारीरिक उत्पीड़न के दायरे में नहीं आता।

मामले में पत्नी ने अपने पति और ससुराल वालों पर आरोप लगाया था कि उन्होंने उससे 5 लाख रुपये मायके से लाने की मांग की ताकि उसके पति को स्थायी सरकारी नौकरी मिल सके। महिला ने यह भी कहा कि उसके माता-पिता गरीब हैं और इतनी राशि देने में असमर्थ हैं।

कोर्ट ने कहा, “पति और ससुराल वालों ने कहा कि अगर वह पैसे नहीं ला सकती तो उसे साथ रहने के लिए नहीं आना चाहिए। लेकिन इस आधार पर मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिला।”

कोर्ट ने यह भी पाया कि महिला ने अपनी FIR में मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न के आरोप तो लगाए, लेकिन इस दौरान कौन-कौन सी विशेष घटनाएं हुईं, इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं दी।

इस निर्णय में न्यायालय ने पुलिस जांच की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए, यह कहते हुए कि पुलिस आमतौर पर केवल शिकायतकर्ता के रिश्तेदारों के बयान दर्ज करती है, जबकि पड़ोसियों या अन्य संबंधित व्यक्तियों से पूछताछ नहीं की जाती।

इस मामले में पति, ससुराल के सदस्य, भाई, विवाहित बहन, बहनोई और एक चचेरे भाई को आरोपित किया गया था। न्यायालय ने सभी के खिलाफ दायर FIR को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मामले में आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं।