भोपाल, 21 नवंबर (हि.स.)। डॉ. हरिसिंह गौर की 155वी. जन्म जयंती पर सागर जिला “गौर उत्सव” मना रहा है। इस अवसर पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल गुरुवार को शामिल हुए। उन्होंने कहा कि यदि आप पीढ़ियों तक अपना यश चाहते हैं तो शिक्षा का मंदिर तैयार करें और इसे एक संकल्प के रूप में पूर्ण करें। उन्होंने कहा कि एक बार किए गए संकल्प में फिर विकल्प का स्थान नहीं रहता।
उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी संकल्प की ताकत को समझे, विचार के प्रति समर्पण की ताकत को समझे। हम जो संकल्प जीवन में लें उसके प्रति विकल्प कभी स्वीकार न करें। डॉक्टर सर हरि सिंह गौर का जीवन भी की बड़े संकल्पों की प्रतिमूर्ति है। हम सभी को उनके प्रति कृतज्ञ होना चाहिए। डॉ. हरिसिंह गौर जैसे बहुआयामी व्यक्तित्व हमारे जीवन में न केवल प्रेरणा स्रोत के रूप में कार्य करते हैं बल्कि सामाजिक सरोकार और समाज के प्रति अपने दायित्व, अपनी जिम्मेदारी की ओर भी इंगित करते हैं।
मंत्री पटेल ने कहा कि डॉ. गौर साहब अधिवक्ता, लेखक, शिक्षाविद्, समाज सुधारक, दानी और ऐसे व्यक्तित्व के धनी थे जो आगे आने वाली परिस्थितियों को देख सकते थे। आजादी के 75 साल बाद भी हम महसूस कर सकते हैं कि जो पाठ्यक्रम, सुविधाएं सागर केंद्रीय विश्वविद्यालय में है, वह देश के अन्य बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों में भी नहीं, यह हमारे लिए गौरव की बात है।
उन्होंने डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय को केंद्रीय दर्जा प्राप्त होने की बात को याद करते हुए कहा कि शुरुआत में इस बात को समझ नहीं पाए कि केंद्रीय विश्वविद्यालय बन जाने पर डॉ. हरिसिंह गौर की मूल मंशा प्रभावित होगी। डॉ. गौर की मंशा थी कि बुंदेलखंड के गरीब, अनपढ़ व्यक्ति को संसाधन प्राप्त हों। परंतु जब मध्य प्रदेश के सागर में राजकीय विश्वविद्यालय बनाने के फैसले ने डॉ. गौर की मूल भावना को पुनः जीवित कर दिया। रानी अवंती बाई विश्वविद्यालय सागर सहित संपूर्ण बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए वरदान साबित होगी और डॉ. गौर के सपनों को पूरा करने में सहायक बनेगी। इस दौरान मंत्री पटेल ने अपने गुरु की सीख याद करते हुए कहा कि युग परिवर्तन का अकाट्य सिद्धांत है, मूल सुधार तथा भूल सुधार। जिसे उन्होंने अपने जीवन में अपनाया और कई कठिन परिस्थितियों का आसानी से सामना कर सके।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलगुरू प्रो. नीलिमा गुप्ता, जिला पंचायत अध्यक्ष हीरा सिंह राजपूत सहित जन-प्रतिनिधि, अधिकारी, कर्मचारी, कॉलेज के प्राचार्य, शिक्षक, छात्र छात्राएं मौजूद थे।