वाशिंगटन: बेहतर स्वास्थ्य के लिए संतुलित आहार के साथ नियमित व्यायाम भी बेहद महत्वपूर्ण है। हाल ही में एक अध्ययन में पाया गया है कि मेटाबॉलिक डिसफंक्शन से जुड़े स्टीटोटिक लिवर रोग (MASLD) के प्रबंधन में व्यायाम बेहद प्रभावी साबित हो सकता है। पहले इसे गैर-अल्कोहल फैटी लिवर रोग (NAFLD) के नाम से जाना जाता था। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब लिवर में अतिरिक्त फैट जमा हो जाता है। यह समस्या उन लोगों में आम है जो अधिक शराब का सेवन नहीं करते हैं लेकिन मधुमेह, मोटापा, उच्च रक्तचाप या उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याओं से ग्रसित होते हैं।
अध्ययन की प्रमुख बातें
अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित सीडर्स-सिनाई मेडिकल सेंटर के शोधकर्ता हर्ष डी. त्रिवेदी और उनकी टीम द्वारा किए गए इस अध्ययन में पाया गया कि व्यायाम, लिवर सिरोसिस जैसी गंभीर स्थिति में भी फायदेमंद हो सकता है। यह अध्ययन लिवर इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
शोध में यह सामने आया कि:
- लिवर फैट में कमी: व्यायाम लिवर में जमा चर्बी को कम करने में सहायक है।
- सूजन में सुधार: नियमित व्यायाम से शरीर की सूजन कम होती है।
- हृदय स्वास्थ्य में सुधार: व्यायाम से दिल की कार्यक्षमता बेहतर होती है।
- इंसुलिन संवेदनशीलता: नियमित शारीरिक गतिविधियां इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाने में मदद करती हैं, जो मधुमेह जैसी समस्याओं को नियंत्रित करने में सहायक है।
सिरोसिस के मरीजों के लिए भी सुरक्षित
शोधकर्ताओं ने जोर देकर कहा कि व्यायाम की उपयोगिता लिवर रोग के हर चरण में होती है। यहां तक कि सिरोसिस जैसी गंभीर स्थिति में भी रोगी सुरक्षित रूप से व्यायाम कर सकते हैं। नियमित शारीरिक गतिविधियों से न केवल लिवर की समस्याएं कम होती हैं, बल्कि रोगी के समग्र स्वास्थ्य में भी सुधार होता है।
निष्कर्ष
इस अध्ययन ने एक बार फिर यह साबित किया है कि व्यायाम न केवल वजन घटाने के लिए, बल्कि गंभीर लिवर संबंधित बीमारियों को नियंत्रित करने और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। नियमित शारीरिक गतिविधियां अपनाकर लिवर और पूरे शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है।