शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आजकल कई तरह की एक्सरसाइज की जाती हैं। कुछ लोग सुबह दौड़ते हैं, तो कुछ लोग खुद को स्वस्थ रखने के लिए जिम में घंटों पसीना बहाते हैं। इन एक्सरसाइज के अलावा लोग कई अलग-अलग और दिलचस्प तरह की एक्सरसाइज का भी सहारा लेते हैं। आजकल ऐसी ही दिलचस्प एक्सरसाइज में ‘कार्डियो ड्रमिंग’ काफी लोकप्रिय है।
कार्डियो ड्रमिंग हर रोज़ एक ही बोरिंग एक्सरसाइज़ से छुटकारा दिलाकर शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करती है। इस एक्सरसाइज़ की खासियत यह है कि इसे करने से आपके दिल के आस-पास की मांसपेशियां मज़बूत बनती हैं, जिससे दिल की बीमारी का ख़तरा भी कम होता है। इस एक्सरसाइज़ को करने के लिए आपको दो ड्रमस्टिक, एक फिटनेस बॉल और नीचे रखने के लिए एक स्थिर बेस की ज़रूरत होती है। फिटनेस बॉल को बेस पर रखा जाता है, जिससे यह स्थिर रहता है ताकि आप आराम से एक्सरसाइज़ कर सकें।
कार्डियो ड्रमिंग के लाभ
कार्डियो ड्रमिंग के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। यह हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने, रक्तचाप को कम करने, तनाव और चिंता को कम करने, सहनशक्ति बढ़ाने और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करता है। दिल्ली के मेदांता अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रशांत पांडे इस व्यायाम को बहुत कारगर मानते हैं। उनका कहना है कि कार्डियो ड्रमिंग उन लोगों के लिए बहुत अच्छा व्यायाम है जो नियमित व्यायाम में रुचि नहीं रखते हैं, या जो हर दिन एक ही व्यायाम करके थक जाते हैं। यह उन लोगों के लिए अधिक प्रभावी है जो संगीत में रुचि रखते हैं।
हाथों की मांसपेशियां भी मजबूत बनती हैं,
हालांकि वह इस बात से सहमत नहीं हैं कि कार्डियो ड्रमिंग से सिर्फ हृदय की कोशिकाओं का ही व्यायाम होता है। डॉ. प्रशांत कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि इस व्यायाम से सिर्फ हृदय की कोशिकाओं पर ही असर पड़ता है। कार्डियो ड्रमिंग करने से हाथों की मांसपेशियों और कोर की मांसपेशियों के अलावा एरोबिक्स के अंतर्गत आने वाली लगभग सभी मांसपेशियों का इस्तेमाल होता है। यह कोई अलग व्यायाम नहीं है, बल्कि लोगों द्वारा रोजाना किए जाने वाले व्यायाम का ही एक हिस्सा है। डॉ. प्रशांत आगे कहते हैं कि कार्डियो ड्रमिंग से सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य ही बेहतर नहीं होता, बल्कि इस व्यायाम में संगीत के इस्तेमाल की वजह से व्यक्ति का फोकस भी बढ़ता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य भी काफी हद तक बेहतर होता है।
कार्डियो ड्रमिंग का इतिहास
कार्डियो ड्रमिंग का इतिहास काफी रोचक है। इस पद्धति को विकसित करने का श्रेय डॉ. मिशेल अनरौ को जाता है, जिन्होंने 1990 के दशक में फिटनेस उद्योग में काम करते हुए जापान में ताइको नामक जापानी ड्रमिंग को देखा था। उन्होंने इस अभ्यास को एरोबिक वर्कआउट में बदलने के लिए 2002 में ताइकोफिट कार्यक्रम शुरू किया। यहीं से कार्डियो ड्रमिंग की शुरुआत मानी जाती है। इसके अलावा, कार्डियो ड्रमिंग में “ड्रम्स अलाइव!” कार्यक्रम भी है, जिसे 2001 में जर्मनी में कैरी एकिन्स ने विकसित किया था। इस कार्यक्रम को कई शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से विकसित किया गया था और तब से यह फिटनेस ट्रेंड के रूप में लोकप्रिय हो गया है।