म्यूचुअल फंड में पैसा लगाते हैं? तो जान लीजिए SEBI के ये नए नियम, आप पर होगा सीधा असर

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News India Live, Digital Desk: अगर आप भी उन करोड़ों लोगों में से हैं जो अपनी मेहनत की कमाई को बढ़ाने के लिए म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश करते हैं, तो यह खबर आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है. बाजार को कंट्रोल करने वाली संस्था SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) ने हाल ही में कुछ ऐसे नए नियम लागू किए हैं, जिनका सीधा असर आपके निवेश पर पड़ सकता है.

यह बदलाव खासकर उन लोगों के लिए जानना जरूरी है जो स्मॉल-कैप और मिड-कैप फंड्स में पैसा लगाते हैं. चलिए, इसे बहुत ही आसान भाषा में समझते हैं कि आखिर क्या बदला है और आपको क्या करने की जरूरत है.

1. कुछ फंड्स में नए निवेश पर रोक क्यों लगी?

आपने शायद सुना होगा कि कुछ म्यूचुअल फंड कंपनियों ने अपने स्मॉल-कैप और मिड-कैप फंड्स में एकमुश्त (Lumpsum) या SIP के जरिए नया पैसा लेना अस्थायी रूप से बंद कर दिया है.

ऐसा क्यों हुआ? दरअसल, पिछले कुछ समय से स्मॉल और मिड-कैप यानी छोटी और मझोली कंपनियों के शेयरों में बहुत तेजी से पैसा आ रहा था. जब किसी चीज की मांग अचानक बहुत बढ़ जाती है, तो उसकी कीमत भी बेतहाशा बढ़ जाती है. SEBI को लगा कि कहीं इस वजह से बाजार में एक 'बुलबुला' (Bubble) न बन जाए, जो बाद में फूटे और निवेशकों को भारी नुकसान हो. निवेशकों को इसी बड़े जोखिम से बचाने के लिए, SEBI ने फंड हाउसों को जरूरत से ज्यादा पैसा आने पर नए निवेश को रोकने के लिए कहा है.

इसका आप पर क्या असर होगा? अगर आप पहले से ही इन फंड्स में निवेश कर रहे हैं, तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है. यह कदम आपकी सुरक्षा के लिए ही उठाया गया ہے. हां, आप अभी इन फंड्स में नया पैसा नहीं लगा पाएंगे.

2. 'स्ट्रेस टेस्ट' का क्या मतलब है?

SEBI ने अब सभी स्मॉल-कैप और मिड-कैप फंड्स के लिए हर 15 दिन में 'स्ट्रेस टेस्ट' करना अनिवार्य कर दिया है.

यह स्ट्रेस टेस्ट क्या है? यह एक तरह की 'फायर ड्रिल' है. SEBI यह जानना चाहता है कि अगर बाजार में अचानक कोई बड़ी गिरावट आ जाए और बहुत सारे निवेशक एक साथ अपना पैसा निकालने आ जाएं, तो क्या फंड मैनेजर बिना किसी परेशानी के सभी को पैसा लौटा पाएगा? इस टेस्ट से यह पता चलता है कि फंड मैनेजर को अपने पोर्टफोलियो का 25% या 50% हिस्सा बेचने में कितने दिन लगेंगे. यह जानकारी अब हर महीने आपको दी जाएगी.

इससे आपको क्या फायदा? इससे पारदर्शिता बढ़ेगी. आपको यह पता चलेगा कि आपका पैसा जिस फंड में लगा है, वह मुश्किल समय के लिए कितना तैयार है.

3. बदल गए खर्चों (TER) के नियम

TER यानी 'टोटल एक्सपेंस रेशियो'. यह वह सालाना फीस होती है जो म्यूचुअल फंड कंपनी आपके पैसे को संभालने के लिए आपसे लेती है. SEBI ने अब इस फीस को वसूलने के तरीके में भी कुछ बदलाव किए हैं ताकि यह निवेशकों के लिए और भी फायदेमंद हो.

निवेशक अब क्या करें?

इन बदलावों को देखकर आपको घबराने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है. SEBI ने ये सभी कदम निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए ही उठाए हैं. एक समझदार निवेशक के तौर पर आपको बस ये करना है:

  • जानकारी रखें: अपने म्यूचुअल फंड से जुड़ी खबरों पर नजर रखें.
  • घबराकर बेचें नहीं: बाजार में छोटे-मोटे उतार-चढ़ाव आते रहते हैं. सिर्फ नियमों में बदलाव की वजह से अपने निवेश को न बेचें.
  • अपने सलाहकार से बात करें: अगर आपके मन में कोई शंका है, तो अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से बात करना सबसे अच्छा विकल्प है.

ये नियम बाजार को और भी सुरक्षित और पारदर्शी बनाने की एक कोशिश हैं, जो लंबी अवधि में आपके लिए ही फायदेमंद साबित होंगे.

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