आइसक्रीम कोई विलासिता की वस्तु नहीं: हाईकोर्ट

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने जीएसटी परिषद को आइसक्रीम के छोटे पैमाने के निर्माताओं को कंपोजिशन स्कीम से बाहर करने पर पुनर्विचार करने का आदेश दिया है, जिसमें कहा गया है कि आइसक्रीम कोई विलासिता की वस्तु नहीं है। गौरतलब है कि वर्तमान में आइसक्रीम पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाया जाता है। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राकेश मोहन पांडे की एकल-न्यायाधीश पीठ ने 1 अप्रैल को अपने आदेश में कहा कि कराधान कानूनों को संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता) की कसौटी पर खरा उतरना चाहिए और उचित रूप से वर्गीकृत किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि भारत में आइसक्रीम का बड़े पैमाने पर सेवन किया जाता है। आइसक्रीम को विलासिता की वस्तु नहीं कहा जा सकता। जीएसटी परिषद को संविधान में उल्लिखित सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पर विचार करना चाहिए। गौरतलब है कि स्मॉल स्केल आइसक्रीम मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में एक आवेदन दायर कर आइसक्रीम निर्माताओं को कंपोजिशन स्कीम से बाहर करने के संबंध में जीएसटी काउंसिल की अधिसूचना और सिफारिश को खारिज करने की मांग की थी।