IAS Sanjita Mohapatra: बेटी से गर्व का प्रतीक बनने तक की प्रेरक कहानी

IAS Sanjita Mohapatra:

IAS Sanjita Mohapatra: कुछ कहानियां इतनी प्रेरणादायक होती हैं कि वे न केवल हमें सोचने पर मजबूर करती हैं, बल्कि समाज को एक नई दिशा भी देती हैं। ऐसी ही कहानी है IAS अधिकारी संजीता महापात्रा की, जिन्होंने संघर्ष और मेहनत से अपनी पहचान बनाई। ओडिशा के एक छोटे से गांव से लेकर अमरावती जिला परिषद की सीईओ बनने तक, उनकी यात्रा हर किसी के लिए प्रेरणा है।

बेटे की चाह में जन्मी बेटी ने परिवार को गर्वित किया

संजीता महापात्रा का जन्म ओडिशा के राउरकेला में हुआ। उनके माता-पिता एक बेटे की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन जब संजीता ने जन्म लिया, तो परिवार खुश नहीं था। यहां तक कि परिवार ने उन्हें अपनाने से लगभग इनकार कर दिया था। लेकिन उनकी बड़ी बहन की जिद और प्यार ने संजीता को परिवार का हिस्सा बनाए रखा। आज वही बेटी अपने परिवार का गर्व बन चुकी है।

संघर्षों से भरा था शुरुआती जीवन

संजीता का जीवन शुरुआत से ही संघर्षों से भरा रहा। उनका परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। पढ़ाई का खर्च उठाना मुश्किल था, लेकिन सामाजिक संगठनों, शिक्षकों, और स्कॉलरशिप के माध्यम से उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की।

माता-पिता ने निभाई अपनी जिम्मेदारी

संजीता बताती हैं कि आर्थिक स्थिति खराब होने के बावजूद उनके माता-पिता ने अपनी जिम्मेदारियों से कभी मुंह नहीं मोड़ा। उन्होंने बेटियों के करियर को संवारने के लिए हर संभव मेहनत की। पिता ने छोटे-मोटे काम किए, ताकि बेटियां पढ़-लिखकर अपने सपनों को पूरा कर सकें।

इंजीनियरिंग से स्टील प्लांट की नौकरी तक का सफर

मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करने के बाद, संजीता ने स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAIL) में असिस्टेंट मैनेजर के रूप में नौकरी शुरू की। इस दौरान उन्होंने अपने माता-पिता के लिए अपने गांव में एक घर बनाने में मदद की।

पांचवें प्रयास में हासिल किया UPSC का मुकाम

संजीता का सपना हमेशा से IAS अधिकारी बनने का था। हालांकि, यह सफर आसान नहीं था। पांच बार असफल होने के बाद, उन्होंने 2019 में अपने पांचवें प्रयास में UPSC परीक्षा पास की और IAS अधिकारी बनीं। उनके इस मुकाम तक पहुंचने में उनके पति का समर्थन अहम रहा।

अमरावती जिला परिषद की सीईओ के रूप में योगदान

संजीता महापात्रा वर्तमान में अमरावती जिला परिषद की सीईओ हैं। अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए, वह शिक्षा और महिलाओं के सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दे रही हैं।

  • शिक्षा में सुधार: जिला परिषद स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए वह नई योजनाएं लागू कर रही हैं।
  • महिला सशक्तिकरण: उन्होंने स्वयं सहायता समूह (SHG) की महिलाओं को सशक्त बनाने पर जोर दिया है। वे महिलाओं के उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग पर काम कर रही हैं, ताकि उनके लिए एक विशिष्ट बाजार तैयार किया जा सके।

परिवार की उपलब्धियां

संजीता की बड़ी बहन भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) में मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। दोनों बहनों ने अपने परिवार को उस दौर से निकालकर गर्व का प्रतीक बना दिया है, जब बेटियों को बोझ समझा जाता था।

संजीता की कहानी से मिली प्रेरणा

संजीता महापात्रा की कहानी न केवल लड़कियों के महत्व को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि कठिन परिश्रम और हौसले से हर सपना पूरा किया जा सकता है। उनका जीवन यह सिखाता है कि बेटियां परिवार का बोझ नहीं, बल्कि उनका गौरव बन सकती हैं।