नई दिल्ली, 26 नवंबर (हि.स.)। भारतीय संविधान के 75वें वर्ष के मौके पर आज सुप्रीम कोर्ट में आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज भारतीय संविधान का 75वां वर्ष है और यह देश के लिए गर्व की बात है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम यह नहीं भूल सकते कि आज मुंबई में हुए आतंकी हमले की भी बरसी है और मैं देश के संकल्प को भी दोहराना चाहता हूं कि भारत की सुरक्षा को चुनौती देने वाले सभी आतंकी संगठनों को करारा जवाब मिलेगा।
समारोह के दौरान सीजेआई संजीव खन्ना ने प्रधानमंत्री को तिहाड़ जेल के एक कैदी द्वारा बनाई गई पेंटिंग भेंट की। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने थर्ड जेंडर को मान्यता दी है। गरीबों को गैस की सप्लाई सुनिश्चत की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के वरिष्ठ नागरिकों को डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट को एक हकीकर बनाया गया है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि मैं हमेशा ही संविधान के दायरे में में रहा हूं और कभी भी इसका अतिक्रमण नहीं किया। उन्होंने कहा कि ये इशारा काफी है और इसके बारे में ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं है।
इस अवसर पर सीजेआई संजीव खन्ना ने अदालतों में मामलों के लंबित होने और जेलों में विचाराधीन कैदियों की संख्या पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि संविधान ने अदालतों को ये जिम्मेदारी दी है कि वो न्यायिक समीक्षा करें। हम जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हैं, स्वत: संज्ञान लेते हैं, वादों के निपटारे के लिए एमिकस क्यूरी की नियुक्ति करते हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि न्यायपालिका की सबसे बड़ी ताकत इसकी पारदर्शिता है। चीफ जस्टिस ने केसों के लंबित होने पर चिंता जताते हुए कहा कि इस साल देशभर की जिला अदालतों में 02 करोड़ 80 लाख मामले दाखिल हुए, जबकि हाई कोर्ट में 16 लाख 60 हजार और सुप्रीम कोर्ट में 54 हजार केस दाखिल किए गए। चीफ जस्टिस ने कहा कि निचली अदालतों में करीब 20 हजार जज और हाई कोर्ट में 750 जजों के भरोसे 5 लाख 23 हजार कैदियों के मामले होते हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि इतनी बड़ी असमानता के बावजूद न्यायपालिका सक्षम तरीके से मामलों को निपटाती है।
इस मौके पर जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि संविधान एक ऐसा दस्तावेज है, जिसने एक नए सामाजिक व्यवस्था को जन्म दिया। संविधान सभा के सदस्यों के बीच मतों की भिन्नता के बावजूद वे इस मत को लेकर एक थे कि एक ऐसा संविधान दें, जिसमें स्वतंत्रता और अधिकारों की सुरक्षा हो। इस मौके पर अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन और राज्यसभा सदस्य मनन मिश्रा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।