घर की समृद्धि के लिए कैसे करें जसूद के पौधे की पूजा?

जसूद के पौधे को हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण और बहुत फलदायी माना जाता है। जसूद के फूल को देवी दुर्गा, देवी लक्ष्मी और भगवान शिव का पसंदीदा माना जाता है। मान्यता है कि जसूद के फूल चढ़ाने से लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। जसुद के फूलों का उपयोग हवन, पूजा और आरती सहित अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार जसूद का पेड़ घर में लगाना शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह पौधा सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखता है। कहा जाता है कि जसूद के पौधे मुख्य द्वार के पास या पूर्व दिशा में लगाने चाहिए। आपको बता दें कि जसूद के पौधे की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। इससे ग्रह दोषों से मुक्ति मिल सकती है। आइए इस लेख में ज्योतिषी पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानें।

जसूद पौधे की पूजा के लिए सामग्री

जसूद का पौधा, लाल फूल, जल, दीपक, धूप, रोली, चावल, फल, मिठाई, काले तिल आदि।

  • कैसे करें जसूद के पौधे की पूजा?
  • जसूद वृक्ष की जड़ में जल डालें।
  • जसूद के पौधे पर लाल फूल चढ़ाएं।
  • धूपबत्ती जलाएं और जसूद के पेड़ की आरती करें।
  • जसूद के पौधे को रोली और चावल से तिलक करें।
  • जसूद के पेड़ के नीचे फल और मिठाई चढ़ाएं।
  • जसूद के पेड़ की 11 बार परिक्रमा करें।
  • जसूद के पौधे की पूजा के लिए बुधवार या शुक्रवार का दिन सर्वोत्तम माना जाता है।
  • जसूद के पौधे की पूजा से लाभ
  • जसूद के पौधे की पूजा करने से ग्रह दोषों से छुटकारा मिलता है।
  • जसूद के पौधे की पूजा करने से धन में वृद्धि होती है।
  • जसूद के पौधे की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
  • जसूद के पौधे की पूजा करने से बीमारियों से राहत मिलती है।
  • जसूद के पौधे की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

जसूद पौधे की पूजा के दौरान मंत्रों का जाप
जसूद के पौधे की पूजा के दौरान विशेष रूप से इन मंत्रों का जाप करें। जीवन में चल रही सभी समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है।

  • ॐ जयन्ते देवी जयन्ती मयूरकुटी
  • जयन्ती शिव जयन्ती दुर्गा
  • जयन्ती जगन्मयी जगन्माता
  • जयन्ती ब्रह्माणि ब्रह्मस्वरूपिणी
  • ॐ नमो देव्यै शिवायै
  • जटाधारयै पिनकिन्यै
  • अम्बायै त्रिपुरै त्रिनेत्रयै
  • रक्तायै महादेवाय नमः
  • ललिता देव्या को नमस्कार
  • ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले श्रीं महालक्ष्म्यै नमः