माता-पिता और बच्चों के बीच रिश्ता जितना मजबूत और खूबसूरत होता है, उतना ही जरूरी है बच्चों से महत्वपूर्ण विषयों पर खुलकर बात करना। लेकिन आज भी कई पेरेंट्स ऐसे विषयों पर बात करने में झिझक महसूस करते हैं, खासकर प्यूबर्टी (किशोरावस्था) जैसे मुद्दों पर। प्यूबर्टी वह समय होता है जब बच्चे शारीरिक और मानसिक बदलाव के दौर से गुजरते हैं। सही समय पर उन्हें इसके बारे में जानकारी देना बेहद जरूरी है।
अगर आप भी अपने बच्चे से इस विषय पर बात करने में संकोच करते हैं, तो पेरेंटिंग कोच अदिति मुरारका ने एक आसान तरीका बताया है, जिससे आप प्यूबर्टी के विषय में सहज और सरल तरीके से बच्चों को समझा सकते हैं।
प्यूबर्टी का मतलब क्या है?
अदिति मुरारका के अनुसार, बच्चों को यह समझाएं कि बड़ा होना हर जीव का एक स्वाभाविक हिस्सा है, चाहे वह इंसान हो, जानवर या पक्षी। प्यूबर्टी का अर्थ है कि शरीर अब फर्टाइल बनने की प्रक्रिया में है। इसका एक मतलब यह भी है कि इस दौरान शारीरिक और भावनात्मक बदलाव होंगे, जैसे कि सेक्सुअल फीलिंग्स का आना।
प्यूबर्टी पर बात करने का सही समय कब है?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि बच्चों को 8 से 9 साल की उम्र के बीच प्यूबर्टी के बारे में बताना शुरू कर देना चाहिए। आप यह चर्चा तब भी कर सकते हैं जब बच्चे में शारीरिक बदलाव दिखने लगें, जैसे:
- प्यूबिक हेयर का आना
- अंडरआर्म्स में बाल उगना
- त्वचा में बदलाव
यह उम्र बच्चों को इस विषय में जानकारी देने के लिए बिल्कुल सही समय होती है।
लड़कों में प्यूबर्टी के लक्षण
- पेनिस और टेस्टिकल्स का आकार बढ़ने लगता है और प्यूबिक हेयर आने लगते हैं।
- हाइट बढ़ने के साथ शरीर की बनावट और आवाज में बदलाव आता है।
- 12-14 साल की उम्र में चेहरे पर बाल उगने लगते हैं।
- शरीर से पसीने की बदबू आने लगती है, इसलिए उन्हें हाइजीन का महत्व समझाएं।
- 12-16 साल के बीच यदि नींद में परेशानी होती है, तो यह सामान्य है। उन्हें बताएं कि यह बदलाव का हिस्सा है।
लड़कियों में प्यूबर्टी के लक्षण
- शरीर और प्यूबिक एरिया पर बालों का विकास शुरू होता है।
- स्तनों का आकार धीरे-धीरे बढ़ने लगता है।
- पीरियड्स शुरू हो जाते हैं।
- हाइट और वजन में बदलाव आते हैं।
- त्वचा ऑयली हो जाती है, जिससे पिंपल्स हो सकते हैं।
- हार्मोनल बदलाव के कारण मूड स्विंग होते हैं।
- इस उम्र में लड़कियां प्राइवेसी और इंडिपेंडेंसी की मांग करने लगती हैं।
पेरेंट्स के लिए आसान टिप्स
- सेफ स्पेस बनाएं:
- बच्चों से बात करते समय उन्हें सुरक्षित माहौल दें, ताकि वे बिना हिचकिचाहट के अपने सवाल पूछ सकें।
- लंबे-लंबे लेक्चर देने से बचें और चर्चा को सरल रखें।
- सहायक सामग्री का इस्तेमाल करें:
- बच्चों के साथ किताबें पढ़ें या वीडियो देखें ताकि उनके शरीर में हो रहे बदलावों को आसानी से समझा सकें।
- चर्चा को हल्का-फुल्का रखें:
- प्यूबर्टी पर बात को बहुत गंभीर न बनाएं। इसे एक सामान्य और हल्की चर्चा की तरह करें।
- तैयार करें:
- लड़कों को फेशियल हेयर और लड़कियों को पीरियड्स के लिए पहले से तैयार करें।
- उनके पहले क्रश या भावनात्मक बदलावों को समझें और सपोर्ट करें।
- खुलेपन का माहौल बनाएं:
- बच्चों को इस बात का एहसास कराएं कि वे अपनी शंकाएं या दुविधाएं आपसे शेयर कर सकते हैं।