पनीर: फैक्ट्री में पनीर कैसे बनता है? जानिए कौन से रसायनों का उपयोग किया जाता है

शाकाहारियों के लिए पनीर खाना पहली पसंद है। किसी भी रेस्टोरेंट से लेकर पार्टी तक में पनीर की डिमांड सबसे ज्यादा होती है. फास्ट फूड से लेकर मेन कोर्स तक शाकाहारी चीजों में लोग पनीर खाना पसंद करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जो पनीर आप रेस्तरां और घर पर खाते हैं, उसका उत्पादन कहां होता है? क्या पनीर बनाने में किसी रसायन का उपयोग किया जाता है?
किसी फैक्ट्री में पनीर बनाने के लिए सबसे पहले दूध से पनीर बनाने की प्रक्रिया पूरी की जाती है. इसके बाद पनीर के टुकड़ों को एक डिब्बे में डालकर दबा दिया जाता है.
किसी फैक्ट्री में पनीर बनाने के लिए सबसे पहले दूध से पनीर बनाने की प्रक्रिया पूरी की जाती है. इसके बाद पनीर के टुकड़ों को एक डिब्बे में डालकर दबा दिया जाता है.
दरअसल पनीर को दबाने से उसका अतिरिक्त पानी निकल जाता है। इसके साथ ही पनीर को अपना आकार भी मिल जाता है. इसके बाद इसे पानी में डालकर ठंडा किया जाता है. इसके बाद इसे अलग-अलग आकार में काटा जाता है.
दरअसल पनीर को दबाने से उसका अतिरिक्त पानी निकल जाता है। इसके साथ ही पनीर को अपना आकार भी मिल जाता है. इसके बाद इसे पानी में डालकर ठंडा किया जाता है. इसके बाद इसे अलग-अलग आकार में काटा जाता है.
इसके बाद कंपनी इसे अलग-अलग वजन के हिसाब से पैकिंग के लिए भेजती है। पनीर को पैक करने के बाद उसे बाजार में बिक्री के लिए भेज दिया जाता है.
इसके बाद कंपनी इसे अलग-अलग वजन के हिसाब से पैकिंग के लिए भेजती है। पनीर को पैक करने के बाद उसे बाजार में बिक्री के लिए भेज दिया जाता है.
इसके अलावा कुछ लोग दूध को फाड़ने के लिए अवैध रूप से एसिटिक एसिड का उपयोग करते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, दूध के प्रसंस्करण में इस रसायन के इस्तेमाल से लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। सरकार ने इस रसायन पर प्रतिबंध लगा दिया है।
इसके अलावा कुछ लोग दूध को फाड़ने के लिए अवैध रूप से एसिटिक एसिड का उपयोग करते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, दूध के प्रसंस्करण में इस रसायन के इस्तेमाल से लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। सरकार ने इस रसायन पर प्रतिबंध लगा दिया है।