फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशंस ऑफ इंडिया (FHRAI) ने फूड डिलीवरी ऐप्स स्विगी और जोमैटो के खिलाफ बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर ली है। फेडरेशन इन कंपनियों के क्विक फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स के व्यवहार को लेकर कॉमर्स और इंडस्ट्री मिनिस्ट्री से शिकायत करने की योजना बना रहा है। FHRAI का आरोप है कि ये कंपनियां अपने प्राइवेट लेबल्स जैसे ब्लिंकिट के Bistro और स्विगी के SNACC को बढ़ावा देने के लिए अपनी बाजार स्थिति का गलत फायदा उठा रही हैं।
फेडरेशन की मांग
FHRAI के वाइस प्रेसिडेंट प्रदीप शेट्टी ने कहा,
“हमने कॉमर्स सेक्रेटरी के साथ अप्वाइंटमेंट मांगा है और अगले हफ्ते कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल से भी मिलने की योजना बना रहे हैं। हम उनसे अपील करेंगे कि ई-कॉमर्स नियमों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए। इसके अलावा, यह सुनिश्चित किया जाए कि इन क्विक कॉमर्स कंपनियों के पास अपने प्राइवेट लेबल्स नहीं हों। उनके लिए मार्केटप्लेस के तौर पर तटस्थता बनाए रखना जरूरी है।”
FHRAI का कहना है कि फूड एग्रीगेटर्स का काम सिर्फ प्लेटफॉर्म के रूप में सेवा देना है, न कि खुद के प्रोडक्ट्स बेचकर प्रतिस्पर्धा को खत्म करना।
देशभर के होटल और रेस्टोरेंट्स का समर्थन
FHRAI देशभर के लगभग 60,000 होटल्स और 5 लाख रेस्टोरेंट्स का प्रतिनिधित्व करता है।
इस मुद्दे पर नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) ने भी स्विगी और जोमैटो के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का संकेत दिया है।
NRAI का रुख
NRAI के प्रेसिडेंट सागर दरयानी ने कहा,
“हम इन कंपनियों के खिलाफ कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) में शिकायत करने की तैयारी कर रहे हैं। अगर ये फूड एग्रीगेटर्स रेस्टोरेंट्स के साथ मिलकर काम करें और हमारी क्विक सर्विस में मदद करें, तो हमें कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन अगर वे हमारे जैसे प्रोडक्ट्स बेचकर हमारी इंडस्ट्री को खत्म करने की कोशिश करते हैं, तो हम इसे रोकने के लिए कानूनी कदम उठाएंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म पर प्रोडक्ट बेचने की अनुमति नहीं है, उसी तरह फूड एग्रीगेटर्स को भी इस प्रकार के व्यवहार से रोका जाना चाहिए।
क्या है मामला?
- प्राइवेट लेबल्स का मुद्दा:
FHRAI और NRAI का मानना है कि स्विगी और जोमैटो अपने प्लेटफॉर्म्स पर खुद के प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देकर रेस्टोरेंट्स के साथ अनफेयर प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। - मार्केटप्लेस की तटस्थता:
इन कंपनियों के लिए तटस्थता बनाए रखना जरूरी है, ताकि सभी रेस्टोरेंट्स को समान अवसर मिल सके। - रेस्टोरेंट्स का खतरा:
रेस्टोरेंट्स का दावा है कि यदि यह व्यवहार जारी रहा, तो उनकी सर्विस और बिजनेस पर बड़ा असर पड़ेगा।
रेस्टोरेंट इंडस्ट्री की मांगें
- कड़ा नियमन:
सरकार ई-कॉमर्स और फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स के प्राइवेट लेबल्स पर कड़ी निगरानी रखे। - निष्पक्षता सुनिश्चित हो:
प्लेटफॉर्म पर सभी रेस्टोरेंट्स को समान रूप से प्रमोट किया जाए। - रेस्टोरेंट्स की सुरक्षा:
फूड एग्रीगेटर्स रेस्टोरेंट्स के पार्टनर बनकर काम करें, न कि उनके प्रतिद्वंद्वी।
सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण
फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स का यह मुद्दा न केवल रेस्टोरेंट्स के लिए बल्कि उपभोक्ताओं के लिए भी अहम है। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि बाजार में निष्पक्षता बनी रहे और सभी पक्षों के हित सुरक्षित रहें।