कोलकाता, 18 नवंबर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक पूजनीय माधव सदाशिव गोलवलकर ‘गुरुजी’ की स्मृति में भारतीय गुरुकुलम द्वारा हावड़ा के शिवपुर स्थित आईआईईएसटी संस्थान में विज्ञान और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भव्य सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में विज्ञान और समाज के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले व्यक्तियों को सम्मानित किया गया।
समारोह का उद्घाटन आईआईईएसटी के निदेशक प्रो. वीएम एसआर मूर्ति ने अतिथियों के साथ दीप प्रज्वलित कर और डॉ. हेडगेवार एवं गुरुजी की छवि पर पुष्प अर्पित कर किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि विज्ञान भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री डॉ. शिवकुमार शर्मा, मुख्य वक्ता डॉ. सोमदेव भारद्वाज और समारोह अध्यक्ष पूर्व क्षेत्र संघचालक डॉ. जयंत राय चौधरी ने गुरुजी के जीवन और उनके प्रेरणादायी योगदान पर प्रकाश डाला।
गुरुजी ने अपने संन्यासी जीवन और साधना से स्वयंसेवकों को राष्ट्र को वैभवशाली बनाने के लिए प्रेरित किया। रामकृष्ण परमहंस के शिष्य स्वामी अखंडानंद से दीक्षा लेने के बाद उन्होंने साधना के माध्यम से समाजसेवा और संगठन को मजबूत करने का कार्य किया।
समारोह के दौरान आईआईटी खड़गपुर के निदेशक प्रो. वीरेंद्र कुमार तिवारी को उनके वैज्ञानिक योगदान और प्रबंधन कौशल के लिए सम्मानित किया गया। उन्हें एक लाख रुपये की सम्मान राशि, शाल, श्रीफल और स्मृति फलक प्रदान किया गया।
इसके साथ ही, कृषि, पशुपालन और ग्राम विकास के लिए योगदान देने वाले आईवीआरआई कल्याणी के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक प्रो. रास बिहारी भड़, आयुर्वेद के माध्यम से कोरोना काल में चिकित्सा सेवा देने के लिए आरएआरआई गंगटोक के सहायक निदेशक डॉ. अचिंत्य मित्र, और कृषि उपयोगी ऐप के विकास के लिए एनआईटी दुर्गापुर के निदेशक प्रो. अरविंद चौबे को 50,000 रुपये की सम्मान राशि के साथ शाल और स्मृति चिह्न प्रदान किए गए।
गुरुकुलम मेघा सम्मान और सांस्कृतिक प्रस्तुति
समारोह में बांकुड़ा विश्वविद्यालय की स्वर्ण पदक विजेता ऐशानी सेन दत्ता को राजनीति शास्त्र में उनकी उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए ‘गुरुकुलम मेघा सम्मान’ प्रदान किया गया। वहीं, राम भक्ति भजनों की प्रस्तुति देकर श्रीमती दीपाली कुलकर्णी ने समारोह को और मनमोहक बना दिया।
कार्यक्रम का संचालन साल्टलेक एनआईएच के प्रो. डॉ. शिशिर सिंह ने किया, जबकि स्वागत भाषण गुरुकुलम के उपाध्यक्ष उमेश राय ने दिया। भारतीय गुरुकुलम के अध्यक्ष डॉ. आनंद पांडेय ने समारोह का परिचय और उद्देश्य साझा किया।
यह आयोजन गुरुजी के विचारों को जीवंत करने और विज्ञान व सामाजिक समरसता के क्षेत्र में योगदान देने वालों को प्रोत्साहित करने का एक अनूठा प्रयास रहा।