Holy month of Sawan: जानें क्यों ब्रह्मचर्य पालन और इंद्रियों पर संयम है महादेव को प्रसन्न करने का विशेष उपाय
News India Live, Digital Desk: Holy month of Sawan: भगवान शिव की भक्ति और आराधना के लिए सावन का पवित्र महीना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान भक्त शिव जी को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए तरह-तरह के अनुष्ठान, पूजा-पाठ और व्रत करते हैं। लेकिन शिवपुराण और स्कंद पुराण जैसे हमारे धर्मग्रंथों में इस मास में केवल बाहरी पूजा-पाठ पर ही नहीं, बल्कि आंतरिक शुद्धिकरण और संयम पर भी विशेष जोर दिया गया है। इसी में एक महत्वपूर्ण बात है सावन के पूरे महीने में ब्रह्मचर्य का पालन करना।
क्यों है ब्रह्मचर्य इतना महत्वपूर्ण?
सावन मास को आत्म-संयम, तपस्या और आत्म-शुद्धि का समय माना गया है। स्कंद पुराण के अनुसार, यह वो अवधि है जब भक्तों को अपनी पांचों इंद्रियों – देखना, सुनना, छूना, सूंघना और स्वाद लेना – पर नियंत्रण रखना चाहिए। ब्रह्मचर्य का अर्थ केवल शारीरिक संयम ही नहीं है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी शुद्धता बनाए रखना है। यह शिव की सात्विक भक्ति की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।
इंद्रियों पर संयम क्यों है आवश्यक?
माना जाता है कि इंद्रियों पर नियंत्रण करके ही व्यक्ति मन को शांत और एकाग्र कर सकता है। जब हमारा मन शांत होता है, तब ही हम ईश्वर की आराधना में पूरी तरह लीन हो पाते हैं। सावन का महीना तपस्या का काल होता है। इस दौरान किए गए किसी भी प्रकार के इंद्रिय सुख से हमारी तपस्या का फल बाधित हो सकता है। ब्रह्मचर्य का पालन करने से हमारी ऊर्जा ऊर्ध्वगामी होती है, जो आध्यात्मिक उन्नति और मन की शुद्धि में सहायक होती है।
क्या करें और क्या न करें?
स्कंद पुराण के अनुसार, सावन माह में भोजन भी सात्विक और साधारण होना चाहिए। इस दौरान मांसाहार, तामसिक भोजन और मदिरा के सेवन से बचना चाहिए। साथ ही, बहुत आरामदायक बिस्तर पर सोने से भी बचना चाहिए, बल्कि हो सके तो जमीन पर सोना अधिक शुभ माना जाता है। यह सभी अभ्यास हमें भोग विलास से दूर रखकर सरल और संयमित जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं।
जब हम शारीरिक और मानसिक रूप से खुद को शुद्ध करते हैं और अपनी वासनाओं को नियंत्रित करते हैं, तो इससे मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और विचारों में पवित्रता आती है। यही शुद्ध भावनाएं और निष्ठा महादेव को सबसे प्रिय है। वे प्रसन्न होकर भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करते हैं, कष्टों को हरते हैं और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
संक्षेप में, सावन में ब्रह्मचर्य पालन सिर्फ एक धार्मिक नियम नहीं, बल्कि आत्म-अनुशासन, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का एक सशक्त माध्यम है, जिसके द्वारा शिव भक्त महादेव की असीम कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
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