हिसार, 4 जून (हि.स.)। हिसार लोकसभा क्षेत्र में चुनाव नतीजों ने साबित कर दिया है कि सत्ता विरोधी लहर की कीमत जहां भाजपा उम्मीदवार रणजीत सिंह ने चुकाई, वहीं भाजपा की गोद में बैठना दुष्यंत चौटाला को भारी पड़ गया। यही कारण रहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने वाले दुष्यंत चौटाला की माता इस बार जमानत भी नहीं बचा पाई। जजपा को भाजपा से गठबंधन करना जनता को रास नहीं आया।
वर्ष 2019 के चुनाव में दुष्यंत चौटाला ने हिसार लोकसभा क्षेत्र से जजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ते हुए 2 लाख 89 हजार 221 वोट प्राप्त किए थे लेकिन वे इस चुनाव में भाजपा उम्मीदवार बृजेन्द्र सिंह सेे हार गए थे। बृजेन्द्र सिंह को इस चुनाव में छह लाख 3 हजार 289 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर भव्य बिश्नोई को एक लाख 84 हजार 369 वोट प्राप्त हुए थे। पिछले चुनाव में भाजपा के बृजेन्द्र सिंह से हार के बावजूद दुष्यंत चौटाला का प्रदर्शन शानदार रहा लेकिन लोकसभा के कुछ समय बाद हुए विधानसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला की पार्टी 10 विधायकों के सहारे भाजपा की गोद में जाकर बैठ गई।
दुष्यंत का भाजपा की गोद में जाना था कि उन्हें वोट देने वाले हलकों में तीव्र प्रतिक्रिया हुई क्योंकि विधानसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला ने भाजपा को जमना पार भेजने की बात कहकर वोट मांगे थे। वोट पड़े, परिणाम आए और दुष्यंत चौटाला सत्ता में भागीदार हो गए, जिसका जमकर विरोध हुआ। बाद में चले किसान आंदोलन, किसानों पर लाठियां चलने, कर्मचारी, आंगनवाड़ी व आशा वर्करों सहित हर आंदोलन के समय दुष्यंत चौटाला आंखें मूंदे सरकार में उप मुख्यमंत्री बने बैठे रहे जिसका नतीजा इस बार के लोकसभा चुनाव में देखने को मिल गया है। बातचीत के दौरान भी किसान व आंदोलनकारी संगठन अपने उपर हो रहे अत्याचारों के लिए भाजपा से ज्यादा जजपा को जिम्मेवार मान रहे थे, क्योंकि जजपा के सहारे ही भाजपा सरकार चल रही थी। इसके बावजूद कभी न तो दुष्यंत चौटाला ने मुंह खोला और न ही आंदोलनकारियों से बातचीत का प्रयास किया। यही कारण रहा कि पिछले चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने वाली जजपा इस बार लगभग 22 हजार कुल वोट ही प्राप्त कर पाई है।