महाराष्ट्र के नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मुख्यालय में विजयादशमी कार्यक्रम बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस मौके पर स्वयंसेवकों ने पथ संचालन किया. संघ अध्यक्ष मोहन भागवत ने खुद शस्त्र पूजा की. उन्होंने विजयादशमी के मौके पर स्वयंसेवकों को संबोधित भी किया. अपने संबोधन में उन्होंने दुनिया भर के हिंदुओं से एकजुट होने की अपील की है. उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं की दुर्दशा और भारत के खिलाफ फैलाए जा रहे नैरेटिव को समझाते हुए कहा कि आज के युग में कमजोर और असंगठित होना अपराध है, इसलिए खुद को बचाने के लिए संगठित होना जरूरी है.
कार्यक्रम सुबह 7.40 बजे नागपुर के रेशिमबाग मैदान में शुरू हुआ. वार्षिक संबोधन के दौरान संघ अध्यक्ष मोहन भागवत ने कई मुद्दों पर अपने विचार रखे. विजयादशमी के मौके पर देश के करोड़ों स्वयंसेवकों ने शस्त्र पूजा की.
भाषण की अहम बातें…
1. बांग्लादेश के साथ कोई प्रतिशोध नहीं. सब जानते हैं कि बांग्लादेश को कौन भड़का रहा है.
2. बांग्लादेशी हिंदुओं की हालत खराब है. जहां-जहां हिंदू थे, वहां-वहां बंटवारा हो गया.
3.हिन्दुओं को संगठित होना होगा. अनुष्ठान निर्माण भी आवश्यक है।
4. समाज की समस्याओं को ठीक करना जरूरी है.
5. मनिचियस ने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया। (जाति के आधार पर मत बंटो…एकजुट रहो)
6. वसुधैव कुटुम्पकम् को विश्व स्वीकार कर रहा है।
7. अनेक भारत विरोधी शक्तियों का इतना कमजोर एवं असंगठित होना अपराध है।
इसरो के पूर्व प्रमुख मुख्य अतिथि
समारोह में इसरो के पूर्व प्रमुख राधाकृष्णन मुख्य अतिथि थे। आरएसएस की स्थापना 1925 में दशहरे के दिन डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। विजयादशमी का यह पर्व हर वर्ष संघ के स्वयंसेवक इसी प्रकार बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। यह संघ का सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम है.