दिल्ली सरकार पर हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी: CAG रिपोर्ट पेश न करने पर उठाए सवाल

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दिल्ली में विधानसभा चुनाव के बीच दिल्ली हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार पर कड़ी टिप्पणी की है। यह टिप्पणी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की कई रिपोर्टों को विधानसभा में पेश न किए जाने के संदर्भ में की गई है। कोर्ट ने सरकार की ईमानदारी पर सवाल उठाते हुए कहा कि रिपोर्ट पेश करने में देरी से संदेह पैदा होता है।

CAG रिपोर्ट लीक और आरोप

मीडिया में लीक हुई CAG की दो रिपोर्टों ने दिल्ली सरकार के कामकाज को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।

  1. सीएम के बंगले पर खर्च:
    • रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर गलत तरीके से करोड़ों रुपये खर्च किए गए।
  2. शराब नीति पर नुकसान:
    • रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली सरकार की शराब नीति से सरकारी खजाने को 2000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।

हाई कोर्ट की नाराजगी

दिल्ली हाई कोर्ट ने CAG रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करने में देरी पर आप सरकार को आड़े हाथों लिया।

  • कोर्ट ने कहा:

    “आपने रिपोर्ट को तुरंत विधानसभा में पेश नहीं किया, इससे आपकी ईमानदारी पर सवाल उठता है।”

  • न्यायालय ने जोर देकर कहा कि रिपोर्ट को स्पीकर को भेजना और सदन में चर्चा शुरू करना सरकार की जिम्मेदारी थी।

रिपोर्ट पेश न करना क्यों बना मुद्दा?

CAG रिपोर्टें सरकार के खर्च और नीतियों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण होती हैं।

  • रिपोर्ट विधानसभा में पेश न करने से जनता और विपक्ष को महत्वपूर्ण जानकारी से वंचित रखा गया।
  • यह कदम सरकार की जवाबदेही और पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

विशेषज्ञों का मानना है कि CAG रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करना न केवल संवैधानिक दायित्व है, बल्कि सरकार की नीतियों की निष्पक्ष जांच के लिए भी आवश्यक है।

  • देरी से लोकतंत्र और पारदर्शिता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • हाई कोर्ट की यह टिप्पणी सरकार पर दबाव बढ़ाने वाली है।