दोहरे हत्याकांड के दोषी के आजीवन कारावास की सजा को हाईकोर्ट ने रखा बरकरार

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बिलासपुर, 21 नवंबर (हि.स.)। तखतपुर के खपरी गांव में हुए दोहरे हत्याकांड के दोषी के आजीवन कारावास की सजा को हाईकोर्ट ने उचित ठहराया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच में हुई सुनवाई में कोर्ट ने घटनास्थल पर उपस्थित और हमले में घायल अभियुक्त की पत्नी की गवाही को पर्याप्त मानते हुए “घायल गवाह के साक्ष्य का सबूत के रूप में अधिक महत्व और उसके बयानों को नजरअंदाज मानने की बाते हैं।

दरअसल 8 अक्टूबर, 2018 की रात को तखतपुर के खपरी गांव में दोषी अश्वनी धुरी ने अपने ससुराल के घर में घुसकर गंडासा और कुदाल से घातक हमला किया। हमले में उसके ससुर सियाराम और सास शकुन बाई की मौत हो गई, जबकि पत्नी उमा गंभीर रूप से घायल हो गई। आरोपी अश्वनी की पत्नी उमा उसे छोड़कर सामाजिक तलाक के बाद अपने माता-पिता के साथ रहने लगी थी। कई धमकियों और झगड़ों के बावजूद, उमा ने अपने पति के पास लौटने से इनकार कर दिया, जिससे अश्वनी ने क्रोधित होकर जानलेवा हमला कर दिया।

जिला कोर्ट ने सुनवाई आजीवन कारावास की सजा दी गई। आरोपी अश्वनी को नवंबर 2021 में बिलासपुर में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 307, 450 और 302 (हत्या) के तहत दोषी ठहराया था। ट्रायल कोर्ट ने संबंधित अपराधों के लिए अतिरिक्त दंड के साथ-साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

हाईकोर्ट के समक्ष अश्वनी के वकील ने तर्क दिया कि उमा की गवाही, एक हितबद्ध पक्ष होने के नाते, अविश्वसनीय थी। अभियोजन पक्ष स्वतंत्र गवाहों को करने में विफल रहा। बचाव पक्ष ने पीड़ित के परिवार के भीतर संपत्ति को लेकर विवाद की ओर भी इशारा किया और अपीलकर्ता की संलिप्तता पर सवाल उठाया। हालांकि, राज्य के वकील ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष के मामले को अकाट्य साक्ष्य द्वारा समर्थित किया गया था, जिसमें घायल उमा की गवाही भी शामिल थी। इसकी पुष्टि चिकित्सा और फोरेंसिक रिपोर्ट द्वारा की गई थी। हाईकोर्ट ने घायल प्रत्यक्षदर्शी की गवाही को महत्वपूर्ण मानते हुए अपील को खारिज कर दिया है।