मुकदमों में सरकार की ओर से गैरहाजिरी पर हाईकोर्ट सख्त, सीएस से 8 सप्ताह में शपथ पत्र मांगा

जयपुर, 14 मार्च (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकार की मुकदमों में पैरवी के लिए किसी के नहीं आने पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए मुख्य सचिव से जवाब तलब किया है। इसके साथ ही मुख्य सचिव से 8 सप्ताह में शपथ पत्र पेश करने को कहा है। जस्टिस अशोक कुमार जैन ने यह आदेश जयपुर नगर निगम से जुड़े मामले पर सुनवाई के समय निगम की ओर से कोई हाजिर नहीं होने पर यह आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि नोटिस तामील होने के बावजूद निगम से कोई नहीं आया और निगम सरकार की परिभाषा में आती है।

कोर्ट में यह मामला करीब सात साल पहले आया, जिसमें जयपुर महानगर के जिला न्यायालय की डिक्री के आदेश को चुनौती दी गई थी। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जहां से हाईकोर्ट को 28 फरवरी 23 से पहले फैसला देने का आदेश हुआ। पिछले साल इस मामले में 21 फरवरी और 24 मार्च को कोई हाजिर नहीं हुआ और 11 मई को भी कोई हाजिर नहीं होने पर अंतत: मामला खारिज हो गया। इसकी बहाली के लिए प्रार्थना पत्र पेश नहीं होने पर दूसरे पक्ष ने हाल ही अधीनस्थ न्यायालय द्वारा डिक्री में तय 1 करोड़ 23 लाख 21 हजार 611 रुपए मय ब्याज दिलाने का आग्रह किया गया। इस पर नगर निगम को नोटिस जारी किया गया और नोटिस निगम को मिल भी गया, लेकिन कोई हाजिर नहीं हुआ। कोर्ट ने इस स्थिति को लेकर टिप्पणी की कि लगता है मुकदमों की पैरवी को लेकर सरकार की व्यवस्था में खामी है। देखने में आया है कि सरकार आए दिन अपील व रिवीजन करती है और कोई न आने से वे खारिज हो जाते हैं। इससे राज्य को नुकसान होता है, जिसके लिए सरकारी कर्मचारी और सरकार चलाने वाले राजनीतिक प्रतिनिधि जिम्मेदार हैं।

सरकार से इस बारे में मांगा शपथ पत्र – पांच साल में कितने सिविल मामले पेश हुए और कितने अदम पैरवी खारिज हुए।

– इन मामलों में बहाली व दोषियों पर कार्रवाई को लेकर क्या हुआ

– मामला खारिज होने से राज्य को कितना नुकसान हुआ

– इन मामलों के दोषियों के नाम और उन पर की गई कार्रवाई

– लाभान्वित होने वाली फर्मों के नाम।