हाईकोर्ट ने कहा, अपील दायर में देरी से बचने के लिए उप्र सरकार समर्पित लीगल टीमें बनायें

प्रयागराज, 02 जुलाई (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज पारित अपने एक आदेश में उत्तर प्रदेश सरकार को वैधानिक मियाद से अधिक समय में अपील दायर करने से बचने के लिए जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य की देरी को अलग तरह से देखने से एक खतरनाक मिसाल कायम होगी। कोर्ट ने अपील दायर करने में देरी से बचने के लिए सरकार को कहा है कि वह समर्पित लीगल टीम में बनाएं। यह टीम ऐसी होनी चाहिए जिसे सम्बंधित कानूनी मामलों की अद्यतन जानकारी हो।

न्यायमूर्ति शेखर बी सराफ ने कहा कि सरकार का यह दायित्व है कि वह निर्धारित समयावधि के भीतर अपील दायर करने में तेजी लाने के लिए एक विशेष प्रक्रिया बनाए। हाईकोर्ट ने यह आदेश उत्तर प्रदेश सरकार बनाम मेसर्स हरिश्चंद्र इंडिया लिमिटेड की अपील पर पारित किया है।

न्यायालय ने 224 दिनों की देरी के बाद आर्बिट्रेशन के एक मामले में राज्य द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए कहा कि यह करदाताओं का पैसा है जिससे सरकार निपटती है और अपील दायर करने में इस तरह की लापरवाही और उदासीन दृष्टिकोण अपनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। अदालत ने कहा कि हालांकि सरकार को कुछ प्रशासनिक और प्रक्रियात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन उसे यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त उपाय करने होंगे कि अपील निर्धारित समय सीमा के भीतर दायर की जाए।

न्यायालय ने जोर देकर कहा, “समय पर अपील दायर करने सहित कानूनी मामलों का कुशलतापूर्वक निपटारा शासन का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो सीधे जनता के विश्वास और सार्वजनिक संसाधनों के उचित उपयोग को प्रभावित करता है। सरकारी विभागों और एजेंसियों द्वारा कानूनी मामलों की महत्वपूर्ण मात्रा को देखते हुए, यह आवश्यक है कि सरकार विशेष रूप से अधिनियम के तहत वैधानिक समयसीमा के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए मजबूत तंत्र स्थापित करे’’।

कोर्ट ने कहा कि यद्यपि नौकरशाही और प्रक्रियात्मक विलम्ब विभिन्न कारकों के कारण सरकारी निकायों में एक सामान्य मुद्दा है और वास्तव में अपील दायर करने की प्रक्रिया को धीमा कर सकता है। लेकिन उन्हें वैधानिक समय सीमा बढ़ाने के लिए वैध कारणों के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि विशेष रूप से मध्यस्थता के सम्बंध में कानून यह सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है कि मध्यस्थता विवाद समाधान की एक त्वरित और कुशल विधि बनी रहे।