हाईकोर्ट ने प्रैक्टिस प्रमाणपत्र निर्गत किए जाने की मांग वाली जनहित याचिका की खारिज

प्रयागराज, 13 मार्च (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बार कौंसिल ऑफ इंडिया और उत्तर प्रदेश बार कौंसिल ऑफ इंडिया को ऑल इंडिया बार एक्जामिनेशन (एआईबीई) में शामिल होने वाले अधिवक्ताओं को तीस दिन में सर्टिफिकेट ऑफ प्रैक्टिस उनके घर भेजे जाने वाली जनहित याचिका पर निर्देश जारी करने से इंकार कर दिया है।

कोर्ट ने कहा कि जनहित याचिका को 2019 के सोशल मीडिया में वायरल रिपोर्टों के आधार पर दाखिल किया गया है। इसमें अनुभयजन्य डेटा का अभाव है। लिहाजा, याचिका खारिज करने योग्य है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति अरून भंसाली और न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने प्रतीक शुक्ला की याचिका को खारिज करते हुए दिया है।

हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिका अच्छे उद्देश्यों के लिए दाखिल की गई है। याचिका में इस बात को इंगित किया गया है कि जिन केंद्रों पर एआईबीई परीक्षा आयोजित होती है, वहां कदाचार हुआ है और परीक्षा देने वाले उसमें शामिल हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि याची ने वर्ष 2021 में इसी तरह की एक याचिका दाखिल की थी, जिसे उसने वापस ले ली थी और लगभग तीन साल बीत जाने के बाद फिर वही याचिका दाखिल कर दी। याचिका में कोई बदलाव नहीं किया गया।

मामले में याची की ओर से जनहित याचिका दाखिल कर बार कौंसिल ऑफ इंडिया और यूपी बार कौंसिल ऑफ इंडिया को दो बिंदुओं पर निर्देश देने की मांग की गई थी। पहली मांग थी कि जिन केंद्रों पर एआईबीई आयोजित हो रही है, वहां सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं और परीक्षा में शामिल होने वालों के यहां तीस दिनों के भीतर प्रैक्टिस ऑफ सर्टिफिकेट (प्रैक्टिस प्रमाणपत्र) उनके घर भेज दिए जाएं। कहा गया कि एआईबीई हर साल आयोजित की जा रही है लेकिन इसमें हर साल परेशानी सामने आ रही हैं। इस वजह से परिणाम रोक दिए जाते हैं।