बंबई उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि आत्महत्या की धमकी देना और पति व ससुरालवालों के साथ दुर्व्यवहार करना क्रूरता की श्रेणी में आता है, जो तलाक का आधार बन सकता है।
यह मामला एक दंपति का है, जिन्होंने 2009 में शादी की थी और उनकी एक बेटी भी है। पति का आरोप है कि उसकी पत्नी के माता-पिता लगातार उनके वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप करते थे। इसके अलावा, जब वह ससुराल जाते, तो उनका और उनके परिवार का अपमान किया जाता था। पति का दावा है कि पत्नी 2010 में बिना बताए मायके चली गई थी और कई बार आत्महत्या की धमकी भी दी। उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि पत्नी ने सुसाइड की कोशिश तक की थी, जिससे परिवार पर मानसिक दबाव बढ़ गया था।
वहीं, पत्नी का आरोप था कि उसके ससुर शराब के आदी हैं और उसे परेशान करते थे। हालांकि, अदालत में इस संबंध में कोई ठोस सबूत पेश नहीं किए गए।
इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने पति के पक्ष में फैसला सुनाते हुए तलाक की मंजूरी दी थी, जिसके खिलाफ महिला ने हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट ने सभी सबूतों की जांच के बाद पाया कि पति के दावे पर्याप्त प्रमाणों से समर्थित हैं, जबकि पत्नी की ओर से लगाए गए आरोपों की पुष्टि नहीं हो सकी।
न्यायमूर्ति जोशी ने अपने फैसले में कहा कि “साथी की ओर से इस प्रकार का व्यवहार मानसिक क्रूरता के बराबर है, जो तलाक का वैध आधार हो सकता है।” अदालत ने इस आधार पर तलाक की मंजूरी दे दी।