हर किसी का सपना होता है कि उसका अपना घर हो। देश में ज्यादातर घर होम लोन के जरिए खरीदे जाते हैं। अब घर खरीदने की चाहत रखने वालों के लिए अच्छी खबर है।
सरकार अब घर खरीदने के लिए 70 लाख रुपये की सब्सिडी दे रही है. यह योजना खास तौर पर युवाओं के लिए है, लेकिन इसका लाभ लेने के लिए एक शर्त पूरी करनी होगी। यही स्थिति अब इस देश के लिए मुसीबत बन गई है. 70 लाख की सब्सिडी के लालच में युवा शर्तें तो पूरी कर रहे हैं, लेकिन उनका सामाजिक ढांचा बिगड़ गया है और परिवार टूटने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. अब सरकार को अपनी इस योजना का समाज पर नकारात्मक असर भी देखने को मिल रहा है.
सिंगापुर की बात करें तो… एक ओर जहां बढ़ती जनसंख्या भारत जैसे कुछ देशों के लिए सिरदर्द बन जाती है, वहीं जापान की तरह सिंगापुर भी अपनी घटती जनसंख्या से चिंतित है।
सिंगापुर में एक तरफ जहां जनसंख्या कम हो रही है तो दूसरी तरफ देश में बुजुर्गों की संख्या बढ़ती जा रही है और कुछ सालों बाद इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। इसलिए यहां की सरकार ने जनसंख्या बढ़ाने के लिए एक विशेष योजना शुरू की। सिंगापुर एक बहुत महंगा शहर है और यहां घर खरीदना बहुत महंगा सौदा है।
सरकार ने एक तीर से दो निशाने साधने के इरादे से साल 2001 में बिल्ड टू ऑर्डर योजना शुरू की थी. इसके तहत 35 साल से कम उम्र में शादी करने वालों को ही इस योजना का लाभ दिया जाता है. अब आप समझ गए होंगे कि सब्सिडी पाने के लिए युवा किन शर्तों को पूरा करने लगे.
कम उम्र में शादी करने का चलन बढ़ गया है
सिंगापुर सरकार द्वारा इस योजना की घोषणा के बाद से कम उम्र में शादी का चलन काफी बढ़ गया है. सिंगापुर में अब युवाओं की शादी 30 साल से पहले हो रही है। 25 और 29 की उम्र के बीच, शादी करने वाली महिलाओं की संख्या 60% और पुरुषों की संख्या 44% हो गई, जो 2000 में 45 और 30% थी।
दुष्परिणाम-तलाक
एक कहावत है कि लालच का नतीजा हमेशा बुरा होता है। इस मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ है. 70 लाख रुपए के लालच में युवा कम उम्र में शादी तो कर रहे हैं लेकिन परिवार उनकी प्राथमिकता नहीं है। जिसके कारण तलाक के मामले बढ़ रहे हैं। महिलाओं में तलाक की दर 4% से बढ़कर 7.2% और पुरुषों में 3.5% से बढ़कर 6.3% हो गई।
सिंगापुर सरकार ने इस योजना के तहत शर्त रखी है कि तलाक के बाद 5 साल तक सब्सिडी वाला फ्लैट नहीं बेचा जा सकेगा। इस मजबूरी के तहत अब हालात ऐसे हो गए हैं कि तलाकशुदा जोड़े भी एक साथ रहने को मजबूर हैं, ताकि उन्हें घर के लिए अच्छे पैसे मिल सकें। इसके अलावा योजना के तहत सब्सिडी का दोबारा दावा करने के लिए भी एक निश्चित समय है, जिसे तलाक के बाद पूरा करना होता है।