रांची, 28 जून (हि.स.)। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने शुक्रवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के पत्रकार वार्ता पर पलटवार करते हुए तंज कसा और कहा कि हेमंत सोरेन को सिर्फ उच्च न्यायालय के सिंगल बेंच ने जमानत दिया है लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा इस तरीके से उत्सव मना रहा है जैसे उनको सारे आरोपों से दोष मुक्त कर दिया गया।
प्रतुल ने कहा कि जमानत अदालत की प्रक्रिया का एक हिस्सा होता है और इस पर इतना छाती ठोकर दंभ भरने की आवश्यकता नहीं है। हाई कोर्ट के सिंगल बेंच ने हेमंत सोरेन को जमानत जरूर दिया है लेकिन पूरे मुकदमे का ट्रायल अभी बाकी है। इसलिए झामुमो अभी से हेमंत सोरेन को दोष मुक्त मानकर अदालत की अवमानना कर रहा है।
प्रतुल शाह देव ने कहा कि हाई कोर्ट की डबल बेंच ने हेमंत सोरेन के खिलाफ जमीन घोटाले में लगे आरोपों को प्रथम दृष्टया सही पाया था। हेमंत सोरेन ने उच्च न्यायालय में जब अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी तो केस संख्या डब्ल्यूपी(सीआर) 68/2024 में तीन मई को कार्यवाहक चीफ जस्टिस और न्यायमूर्ति नवनीत कुमार की बेंच ने अपने जजमेंट में प्रथम दृष्टया हेमंत सोरेन के खिलाफ लगे आरोपों को सही माना था।
हाई कोर्ट की डबल बेंच ने ईडी की प्रारंभिक कार्रवाई को भी जायज ठहराया था। हेमंत सोरेन के द्वारा एक आदिवासी होने के कारण प्रताड़ित करने के आरोपों पर उच्च न्यायालय ने कहा था कि यह एक हारते हुए मुवक्किल की बचने का अंतिम प्रयास लगता है। उच्च न्यायालय ने हेमंत सोरेन के दिल्ली स्थित आवास से बरामद 36 लाख रुपये को लेकर उनके द्वारा दिए गए जवाब में माता-पिता के इलाज के लिए पैसा रखने की दलील को भी असमर्थनीय माना था।
प्रतुल ने कहा कि उच्च न्यायालय ने हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को चुनौती करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा कि सुविधा की राजनीति के अनुसार झारखंड मुक्ति मोर्चा सिर्फ जमानत के सीमित मुद्दे पर दिए गए उच्च न्यायालय के सिंगल जज के जजमेंट को दिखा रहा है लेकिन डबल बेंच के टिप्पणियों को नजर अंदाज कर रहा है। प्रतुल ने कहा कि सत्य की हमेशा जीत होती है और जिन लोगों ने भी भ्रष्टाचार किया है मोदी के न्यू इंडिया में उनको बख्शा नहीं जा सकता है।
प्रतुल शाह देव ने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ रांची लैंड स्कैम, साहिबगंज का पत्थर खनन घोटाला, अवैध खनन घोटाला, ट्रांसफर पोस्टिंग घोटाला, प्रश्न पत्र लीक घोटाला आदि ढेर सारे संगीन आरोप लगे हैं। इस सरकार के कार्यकाल में 70,000 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगा है। भ्रष्टाचार और पारदर्शिता के लिए स्थापित लोकायुक्त और सूचना आयोग जैसी संस्थाओं को पंगु बना दिया गया। यह साफ दिखता है कि यह सरकार भ्रष्टाचार के मामलों को सामने आने देना नहीं चाहती।