नदियों का चैनलाइजेशन नहीं होने के मामले पर सुनवाई 11 जून को

नैनीताल, 24 मई (हि.स.)। हाई कोर्ट ने नन्धौर नदी सहित प्रदेश की अन्य नदियों का चैनेलाइजेशन व बाढ़ राहत के कार्य नहीं करने के मामले मे दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार से मौखिक तौर पर पूछा है कि पूर्व के आदेशों के क्रम में क्या कार्रवाई हुई है? कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 11 जून की तिथि नियत की है।

सुनवाई पर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि नदियों से मलुआ हटाने, नदियों का चैनेलाइजेशन करने और बाढ़ राहत के कार्य करने के लिए प्रपोजल भेजा। प्रशासन ने बाढ़ राहत के कई कार्य किए भी हैं। जिसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता ने समस्त अभिलेखों के साथ अपना पक्ष रखा और कहा कि 2022 से नदींयों में जमा शिल्ट, मलुआ, नदियों का चैनेलाइजेशन और बाढ़ राहत के कार्य किये ही नहीं गए। पूर्व में बाढ़ से उनके परिवार के दो सदस्य बह गए थे। उनसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित और कौन हो सकता है, इसलिए मानसून प्रारम्भ होने से पहले बाढ़ राहत के कार्य व नदियों में जमा शिल्ट, बोल्डर और मलुआ को हटाया जाए।

वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार समाजसेवी चोरगलिया निवासी भुवन चन्द्र पोखरिया ने हाई कोर्ट मे जनहित याचिका दायर कर कहा था कि नंधौर नदी सहीत गौला कोसी, गंगा, दाबका में हो रहे भूकटाव व बाढ़ से नदियों के मुहाने अवरुद्ध होने के कारण उनका अभी तक चैनेलाइजेशन नहीं करने के कारण अबादी क्षेत्रों में जल भराव, भू कटाव हो रहा है। हाई कोर्ट के पूर्व के आदेशों का अनुपालन भी नहीं किया गया। पूर्व में न्यायलय ने राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि याचिकाकर्ता को जो पूर्व में आरटीआई के माध्यम से सूचना उपलब्ध कराई गई थी उसका सत्यापन करके उसकी प्रति याचिकाकर्ता को उपलब्ध कराएं।