नई दिल्ली, 27 नवंबर (हि.स.)। टेरर फंडिंग के आरोपित सांसद रशीद इंजीनियर के खिलाफ दर्ज मामले की सुनवाई के दौरान एनआईए ने पटियाला हाउस कोर्ट को बताया कि वो दिल्ली हाई कोर्ट को पत्र लिखकर मांग करेगी कि एनआईए कोर्ट को ही एमपी-एमएलए कोर्ट के रूप में अधिकृत करें ताकि वो रशीद मामले की सुनवाई कर सके। प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज विमल यादव ने इस मामले पर 6 दिसंबर को सुनवाई करने का आदेश दिया।
सुनवाई के दौरान एनआईए की ओर से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि रशीद इंजीनियर मामले की सुनवाई पटियाला हाउस कोर्ट में ही की जाए। हाई कोर्ट से आदेश आने में 10 दिन लगेंगे। इसलिए इस मामले पर 10 दिनों के बाद सुनवाई की जाए। सुनवाई के दौरान रशीद की ओर से पेश वकील विख्यात ओबेराय ने कहा कि अंतरिम जमानत की मांग कर एनआईए को औपचारिक नोटिस जारी किया जाए। तब कोर्ट ने कहा कि अंतरिम जमानत पर भी 6 दिसंबर को विचार करेंगे।
रशीद ने पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका दायर कर संसद सत्र में शामिल होने के लिए अंतरिम जमानत की मांग की है। रशीद ने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिये कोर्ट में पेश होकर कहा था कि मुझे लोगों ने चुना है और संसद के पिछले सत्र में मुझे हिस्सा नहीं लेने दिया गया। रशीद ने हाथ जोड़कर कहा था कि उसे संसद सत्र में हिस्सा लेने के लिए अंतरिम जमानत दी जाए।
पटियाला हाउस कोर्ट ने 16 मार्च 2022 को हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, रशीद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था। एनआईए के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया। वर्ष 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई।
एनआईए के मुताबिक हाफिज सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया। इस धन का इस्तेमाल वे घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम किया। इसकी सूचना गृह मंत्रालय को मिलने के बाद एनआईए ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121, 121ए और यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के तहत केस दर्ज किया था।