अजमेर, 15 जून(हि.स)। अजमेर दरगाह ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के बाहर सर तन से जुदा जैसे भड़काऊ नारे लगाने के मामले में आरोपितों के खिलाफ अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है। इस पर अदालत अब फैसला 12 जुलाई को सुनाएगी।
गौरतलब है कि इस मामले के आरोपित न्यायिक अभिरक्षा में हैं। पुलिस ने भडकाऊ नारे लगाने वाले वीडियो के आधार पर पहले अजमेर के रहने वाले चार आरोपितों ताजिम सिद्धिकी (31) पुत्र नईम खान, फखर जमाली (42) पुत्र सैयद मोहम्मद जुबेर जमाली, रियाज हसन दल (47) पुत्र हसन और मोईन खान (48) पुत्र स्व. शमशूदीन खान को गिरफ्तार किया। इसके बाद फरार आरोपित गौहर चिश्ती व अहसानुल्लाह को पुलिस ने हैदराबाद से गिरफ्तार किया था।
मामले के अनुसार अजमेर के दरगाह पुलिस थाना क्षेत्र अन्तर्गत 17 जून को दोपहर 3 बजे दरगाह के निजाम गेट पर भडकाऊ भाषण बाजी की गई थी। इसे लेकर दरगाह थाने में मामला दर्ज किया गया था। सरकार की ओर से पैरवी कर रहे एडवोकेट गुलाम नजमी फारूकी ने बताया कि अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की कोर्ट में फाइन सुनवाई हुई और इसमें 22 गवाह और 32 दस्तावेज पेश किए गए। फैसला अब 12 जुलाई को सुनाया जाएगा। गौहर को हैदराबाद में शरण देने वाला अहसानल्लाह फरार चल रहा है और ऐसे में इनकी अलग से ट्राइल चलेगी।
कॉन्स्टेबल जयनारायण जाट ने दी रिपोर्ट में बताया कि 17 जून को दोपहर 3 बजे उसकी ड्यूटी निजाम गेट पर थी। इसी दौरान कुछ खादिमों द्वारा गेट पर पूर्व से निर्धारित मौन जुलूस की शर्तों का उल्लंघन करते हुए वहां भाषण दिया। इसके लिए रिक्शे पर लाउड स्पीकर लगाया।
कॉन्स्टेबल ने रिपोर्ट में बताया कि इस दौरान 2500-3000 व्यक्तियों की भीड़ दरगाह के सामने थी, जबकि गौहर चिश्ती को पूर्व में समझाइश दी गई थी। इसी दौरान भड़काऊ भाषण के साथ नारेबाजी की गई। ऐसे में उस पर धार्मिक स्थल से हिंसा के लिए भीड़ को उकसाने और हत्या की अपील करने पर मामला दर्ज किया गया था।