चक्रवाती तूफान रेमल तेज हो गया है और पश्चिम बंगाल तथा बांग्लादेश के तटीय इलाकों में भीषण चक्रवाती तूफान रेमल का दस्तक देना शुरू हो गया है। विभाग ने बताया कि जब रेमल तट पर पहुंचेगा तो 110 से 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलेंगी और इनकी गति 135 किलोमीटर प्रति घंटे तक होगी।
चक्रवात के कारण पश्चिम बंगाल के तटीय जिलों में भारी बारिश और कोलकाता तथा आसपास के इलाकों में भारी से बहुत भारी बारिश होने की आशंका है। राहत एवं बचाव के लिए बंगाल में एनडीआरएफ की 14 टीमें तैनात की गई हैं।
ट्रेन के पहिये जंजीरों से बंधे
बंगाल के हावड़ा में रमल के खतरे को देखते हुए एहतियात के तौर पर शालीमार रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों को जंजीरों और तालों से रेलवे ट्रैक पर बांध दिया गया है ताकि तेज हवाओं के कारण ट्रेनें फिसलने से बच सकें।
मौसम विभाग ने कहा कि रामल उत्तर की ओर बढ़ रहा है और रविवार मध्य रात्रि तक मोंगला बंदरगाह के दक्षिण-पश्चिम में सागर द्वीप (पश्चिम बंगाल) और खेपुपारा (बांग्लादेश) के बीच तटों को पार करने से पहले इसके और तीव्र होने की संभावना है।
प्रधानमंत्री मोदी ने बुलाई बैठक
इस बीच, प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को रेमल से निपटने के लिए की गई तैयारियों की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई। प्रधानमंत्री को बताया गया कि एनडीआरएफ पश्चिम बंगाल सरकार के साथ लगातार संपर्क में है। सभी मछुआरों को दक्षिण बंगाल की खाड़ी और अंडमान सागर में न जाने की सलाह दी गई है। करीब एक लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। आईएमडी बांग्लादेश को भी नियमित अपडेट के साथ जानकारी दे रहा है।
कोलकाता में मौसम विभाग के पूर्वी क्षेत्र के प्रमुख सोमनाथ दत्ता ने बताया कि रविवार शाम से दक्षिण बंगाल के कई जिलों में 45 से 55 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलेंगी, जिसका असर कोलकाता, हावड़ा, हुगली और पूर्व मेदिनीपुर पर पड़ेगा।
अम्फान से कम तबाही
दत्ता ने कहा, ‘रेमल से नुकसान होगा, लेकिन इससे 2020 में आए चक्रवात ‘अम्फान’ से कम तबाही मचने की संभावना है।’ चक्रवात के मद्देनजर पूर्वी और दक्षिण पूर्वी रेलवे ने एहतियाती कदम उठाते हुए तटीय जिलों दक्षिण और उत्तर 24 परगना तथा पूर्वी मेदिनीपुर जिले में कई ट्रेन सेवाएं रद्द कर दी हैं।
चक्रवात रामल के संभावित प्रभाव के कारण कोलकाता हवाई अड्डे के अधिकारियों ने रविवार दोपहर से 21 घंटे के लिए उड़ान परिचालन रद्द करने का निर्णय लिया है।
394 उड़ानें नहीं उड़ेंगी
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के प्रवक्ता ने बताया कि उड़ान निलंबन अवधि के दौरान हवाई अड्डे से कुल 394 उड़ानें संचालित नहीं होंगी, जिनमें अंतरराष्ट्रीय और घरेलू दोनों शामिल हैं। भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) के कोलकाता मुख्यालय वाले उत्तर पूर्व क्षेत्र के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए सभी एहतियाती कदम उठाए हैं कि समुद्र में जान-माल का कोई नुकसान न हो।
चक्रवात के पूर्वानुमान के कारण कोलकाता के श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह पर कार्गो और कंटेनर प्रबंधन परिचालन भी रविवार शाम से 12 घंटे के लिए निलंबित रहेगा।
90-110 किलोमीटर की रफ्तार से चली हवाएं
चक्रवात रविवार सुबह 11:30 बजे तक उत्तरी बंगाल की खाड़ी में सागर द्वीप से 240 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिणपूर्व में स्थित था और इस दौरान 90-100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं और इनकी गति 110 किलोमीटर प्रति घंटे तक थी। यह प्री-मानसून सीजन में बंगाल की खाड़ी में आने वाला पहला चक्रवात है।
मौसम विभाग ने 26-27 मई को पश्चिम बंगाल और उत्तरी ओडिशा के तटीय जिलों में बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। असम और मेघालय में भी बहुत भारी बारिश की संभावना है। 27-28 मई को मणिपुर, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा में भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना है।
निचले इलाकों में भर सकता है पानी
चक्रवात के पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के तटीय इलाकों में पहुंचने पर 1.5 मीटर ऊंची तूफानी लहरों के कारण निचले इलाकों में बाढ़ आने की आशंका है। मौसम विभाग ने मछुआरों को सोमवार सुबह तक बंगाल की खाड़ी के उत्तरी हिस्से में समुद्र में न जाने की सलाह दी है।
उत्तर और दक्षिण 24 परगना, पूर्व मेदिनीपुर, कोलकाता, हावड़ा और हुगली जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश का अनुमान लगाया गया है। उत्तर और दक्षिण 24 परगना और पूर्व मेदिनीपुर जिलों में बहुत भारी बारिश की संभावना के चलते इन इलाकों के लिए रेड अलर्ट जारी किया गया है। 27-28 मई को नादिया और मुर्शिदाबाद जिलों में भी भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है।
कई रेलगाड़ियां रद्द कर दी गईं
पूर्वी रेलवे ने एहतियात के तौर पर रविवार रात 11 बजे से सोमवार सुबह 6 बजे तक सियालदह दक्षिण और बारासात-हसनाबाद खंड पर ट्रेन सेवाएं निलंबित कर दी हैं, जिसके परिणामस्वरूप कई लोकल ट्रेनें रद्द करनी पड़ी हैं।
दक्षिण पूर्व रेलवे ने रविवार को कंडारी एक्सप्रेस तथा रविवार और सोमवार को दीघा आने-जाने वाली कुछ ट्रेनें भी रद्द कर दी हैं।
ओडिशा में भी भारी बारिश की आशंका
उत्तरी ओडिशा में 26-27 मई को बालासोर, भद्रक और केंद्रपाड़ा जिलों में और 27 मई को मयूरभंज में भारी बारिश की संभावना है। 28-29 मई को उत्तर बंगाल के जिलों कूचबिहार, अलीपुरद्वार और जलपाईगुड़ी में बहुत भारी बारिश की संभावना है। इसके अलावा दार्जिलिंग, कलिम्पोंग, उत्तर और दक्षिण दिनाजपुर जिलों में भी भारी बारिश की संभावना है।
आईएमडी ने पश्चिम बंगाल के दक्षिण और उत्तर 24 परगना जिलों में बाढ़ आने और कमज़ोर ढांचों, बिजली और संचार लाइनों, कच्ची सड़कों, फसलों और बगीचों को भारी नुकसान पहुंचने की चेतावनी दी है। प्रभावित इलाकों में लोगों को घरों के अंदर रहने की सलाह दी गई है।
घाटे से बचने के लिए ICG ने उठाए ये कदम
भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) ने समुद्र में जान-माल की हानि को रोकने के लिए एहतियाती कदम उठाए हैं तथा हल्दिया और पारादीप में मछली पकड़ने वाले जहाजों और वाणिज्यिक जहाजों को सतर्क कर दिया गया है।
आईसीजी ने हल्दिया, फ्रेजरगंज, पारादीप और गोपालपुर में खोज और बचाव कार्यों के लिए आपदा राहत टीमों के अलावा जहाजों और विमानों को भी तैयार रखा है।
राज्य एजेंसी ने समन्वय के लिए लालबाजार में कोलकाता पुलिस मुख्यालय में एक नियंत्रण केंद्र स्थापित किया है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “कोलकाता पुलिस की दस टीमों को शहर के 10 पुलिस डिवीजनों में तैनात किया गया है।” एनडीआरएफ की टीमें भी उन जिलों में जा रही हैं, जो चक्रवात से प्रभावित होने की संभावना है।
बंगाल के कई जिलों में ऐसी तैयारियां की जा रही हैं
एनडीआरएफ ने कोलकाता, उत्तर 24-परगना, पूर्व मेदिनीपुर, पश्चिम मेदिनीपुर, दक्षिण 24-परगना, हावड़ा और हुगली सहित कई जिलों में अपनी टीमें और उपकरण तैनात किए हैं।
चक्रवात से सुंदरबन के मैंग्रोव वन पर भी असर पड़ने की संभावना है। सुंदरबन दुनिया के सबसे बड़े जंगलों में से एक है और यह अपने विविध जीवों के लिए जाना जाता है जिसमें पक्षियों की 260 प्रजातियाँ, बंगाल टाइगर और अन्य लुप्तप्राय प्रजातियाँ जैसे कि एस्टुरीन (खारे पानी) मगरमच्छ और भारतीय अजगर शामिल हैं।
पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश की सीमा पर 9,630 वर्ग किलोमीटर में फैला सुंदरवन जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र के स्तर में वृद्धि, लवणता और भूमि कटाव से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि समुद्र की सतह के गर्म तापमान के कारण चक्रवात तेजी से तीव्र हो रहे हैं और लंबे समय तक अपना प्रभाव बनाए रख रहे हैं।
आईएमडी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डीएस पई के अनुसार, समुद्र की सतह के गर्म होने का मतलब है अधिक नमी, जो चक्रवातों की तीव्रता के लिए अनुकूल है।