आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में इसका हमारी सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। खराब खान-पान, व्यायाम की कमी और तनावपूर्ण जीवनशैली जैसी चीजें कई बीमारियों का कारण बन रही हैं। इन्हीं में से एक है डायबिटीज। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर खून में मौजूद शुगर (ग्लूकोज) का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाता। यह बीमारी आमतौर पर बुजुर्गों में देखी जाती थी, लेकिन अब यह युवाओं में भी तेजी से बढ़ रही है।
डायबिटीज यूके की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 5 सालों में ब्रिटेन में 40 साल से कम उम्र के लोगों में टाइप 2 डायबिटीज के मामलों में लगभग 40% की वृद्धि हुई है। यह बीमारी आमतौर पर मध्यम आयु वर्ग और बुजुर्गों को प्रभावित करती है, लेकिन अब युवाओं में भी तेजी से बढ़ रही है। यही स्थिति पूरी दुनिया में देखने को मिल रही है। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के आंकड़ों के अनुसार, 20 से 39 साल के लोगों में डायबिटीज की दर 2013 में 2.9% (63 मिलियन लोग) से बढ़कर 2021 में 3.8% (260 मिलियन) हो गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कम उम्र में होने वाली टाइप 2 डायबिटीज बाद में होने वाली डायबिटीज से ज्यादा गंभीर हो सकती है। इससे शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध तेजी से बढ़ता है और शुगर लेवल को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है। साथ ही इससे आंखों, किडनी और पैरों में जल्दी समस्या होने का खतरा भी बढ़ जाता है। अध्ययनों से पता चलता है कि 30 की उम्र में टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों की औसत आयु स्वस्थ लोगों की तुलना में 14 साल कम होती है। वहीं, 70 साल के बाद होने वाली डायबिटीज में यह उम्र का अंतर सिर्फ 2 साल का होता है।
मोटापा है मुख्य कारण
रिपोर्ट के अनुसार युवाओं में मधुमेह का मुख्य कारण मोटापा है। दुनिया भर में, बच्चों और वयस्कों में मोटापे की दर पिछले तीन दशकों में दोगुनी से भी ज़्यादा हो गई है। 40 साल से कम उम्र के लोगों में टाइप 2 मधुमेह के लिए ज़्यादा वज़न और मोटापा सबसे बड़ा जोखिम कारक है। रिपोर्ट में यह भी चिंता जताई गई है कि सरकारें मोटापा कम करने और स्वस्थ खान-पान को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रही हैं।
डायबिटीज यूके का कहना है कि उसकी रिपोर्ट नीति निर्माताओं के लिए ‘चेतावनी’ का काम करेगी। रिपोर्ट में खाद्य प्रणाली में सुधार की मांग की गई है, जो वर्तमान में अस्वास्थ्यकर और प्रसंस्कृत भोजन को बढ़ावा देती है। लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा के लिए खाद्य प्रणाली में सुधार और सरकारी सक्रियता दोनों की आवश्यकता है।