लैंसेट ग्लोबल हेल्थ नामक पत्रिका में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के अनुसार, भारत में वयस्क आबादी का लगभग आधा हिस्सा यानी 49.4% शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं है। चिंताजनक बात यह है कि यह आँकड़ा वर्ष 2000 की तुलना में दोगुना से भी अधिक हो गया है, जो उस समय केवल 22.3% था। अध्ययन में यह भी पाया गया कि महिलाएँ पुरुषों की तुलना में शारीरिक रूप से अधिक निष्क्रिय हैं।
लोग फिटनेस के लिए रोजाना 15-20 मिनट भी नहीं निकाल पाते
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, शारीरिक रूप से सक्रिय रहने के लिए वयस्कों को सप्ताह में कम से कम 150 मिनट मध्यम तीव्रता वाली गतिविधियाँ या 75 मिनट जोरदार गतिविधियाँ करनी चाहिए। लेकिन भारत में लोग अपनी फिटनेस के लिए इतना समय भी नहीं निकाल पाते हैं।
निष्क्रिय जीवनशैली के क्या परिणाम हो सकते हैं
निष्क्रिय जीवनशैली के कारण भारतीयों में हृदय रोग और मधुमेह जैसी गैर-संचारी बीमारियों के विकसित होने की संभावना दूसरों की तुलना में कम से कम एक दशक पहले अधिक होती है। शारीरिक गतिविधि की कमी का मतलब है कि आप अपने मौजूदा जोखिम कारकों को बढ़ा रहे हैं।
बीमारी से बचने के उपाय
आपको जिम जाने या घंटों व्यायाम करने की ज़रूरत नहीं है। सीढ़ियों का इस्तेमाल करें और लिफ्ट से बचें। बस स्टॉप तक पैदल चलें या साइकिल चलाएं। ये छोटे-छोटे बदलाव भी फायदेमंद हैं। व्यायाम के लिए अपनी पसंद की गतिविधियाँ चुनें जैसे डांस क्लास, या तैराकी। अगर आप लंबे समय से व्यायाम से दूर हैं या आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो कोई भी नया व्यायाम शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।