चंडीगढ़, 8 मई (हि.स.)। हरियाणा की सैनी सरकार से समर्थन वापस लेने वाले तीन विधायकों के दावे पर अभी पेंच फंसा है। दूसरे दिन बुधवार को भी हरियाणा विधानसभा सचिवालय में इस बारे में कोई सूचना नहीं पहुंची है। विधानसभा अध्यक्ष का दावा है कि सरकार से समर्थन वापसी की उनके पास कोई सूचना नहीं है। बुधवार को भी राजभवन की तरफ से हरियाणा विधानसभा सचिवालय को इस संबंध में कोई पत्र नहीं भेजा गया।
विधानसभा स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने आज यहां पत्रकारों को बताया कि उनके पास अभी तक तीन विधायकों के सरकार से समर्थन वापस लिए जाने के संबंध में कोई अधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है। उन्हें यह बात केवल मीडिया के माध्यम से ही पता चली है। जिसके चलते तीनों निर्दलीय विधायक अभी भाजपा के साथ ही हैं।
गुप्ता ने कहा कि इस समय सदन में विधायकों की संख्या 88 है, लेकिन तकनीकी आधार पर भाजपा के 40, कांग्रेस के 30, जजपा के 10, निर्दलीय छह, एक-एक हलोपा व इनेलो के विधायक हैं। गुप्ता ने कहा कि विधायकों के सरकार से समर्थन वापसी का पत्र अगर राज्यपाल को भेजा गया है तो राज्यपाल को उस पर निर्णय करना है। राज्यपाल अपने फैसले के बारे में विधानसभा को भी सूचित करेंगे। इसके बाद आगे क्या कार्रवाई करनी और कब करनी है, यह फैसला राज्यपाल की ओर से ही लिया जाएगा।
सरकार के फ्लोर टेस्ट के मुद्दे पर स्पीकर गुप्ता ने कहा कि 22 फरवरी को विधानसभा में विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव गिर चुका है। इसके अलावा 13 मार्च को मुख्यमंत्री नायब सैनी ने विधानसभा के पटल पर विश्वास का मत हासिल किया है। ऐसे में छह माह तक दोबारा फ्लोर टेस्ट नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि आपात स्थिति में राज्यपाल को हर तरह का निर्णय करने का अधिकार है। राज्यपाल इस संबंध में कोई भी निर्णय लेकर विधानसभा को सूचित कर सकते हैं।
दुष्यंत चौटाला के सरकार को गिराने के लिए हुड्डा को बाहरी समर्थन करने के बयान पर विधानसभा स्पीकर ने कहा कि अगर दुष्यंत के पास विधायकों का संख्या बल होगा तो वह राज्यपाल को जाकर सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं। विधानसभा के रिकार्ड में विधायकों की जो स्थिति पहले थी वही अब है।
विधानसभा स्पीकर ने सरकार के फ्लोर टेस्ट आदि को लेकर हर तरह के निर्णय के बारे में गेंद राज्यपाल के पाले में डाल दी है। उल्लेखनीय है कि निर्दलीय विधायक रणधीर गोलन, सोमवीर सांगवान तथा धर्मपाल गोंदर ने मंगलवार को रोहतक में पत्रकार वार्ता करके भाजपा से समर्थन वापस लेने तथा कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया है। तीनों विधायकों ने सैनी सरकार से समर्थन वापसी को लेकर राज्यपाल के नाम लिखा एक पत्र मीडिया में भी जारी किया था।