H-1B visa Fee Issues : विदेश मंत्री जयशंकर बोले - ग्लोबल वर्कफोर्स एक हकीकत, मुंह नहीं मोड़ सकते

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News India Live, Digital Desk: हमारे विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में वैश्विक वर्कफोर्स यानी पूरी दुनिया में फैल रही श्रम शक्ति के बारे में एक बहुत ही अहम बात कही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि "यह एक हकीकत है और हम इससे भाग नहीं सकते।" उन्होंने यह टिप्पणी भारत-अमेरिका संबंधों और खासकर H-1B वीज़ा से जुड़े फीस के मुद्दों पर बढ़ते दबाव के बीच की है। इससे साफ होता है कि भारत सरकार मानती है कि वैश्वीकरण और श्रमिकों का देशों के बीच आना-जाना अब सामान्य बात है, और हमें इससे दूर नहीं रहना चाहिए।

जयशंकर ने अमेरिका में "इंडिया इनफ्लुएंस" यानी भारतीय प्रभाव की बात पर भी रोशनी डाली। उन्होंने बताया कि किस तरह से भारतीय प्रवासी अमेरिका में एक मजबूत लॉबी के रूप में उभर रहे हैं, खासकर राजनीतिक और तकनीकी क्षेत्रों में। इसका सीधा मतलब है कि भारतीय मूल के लोग अब अमेरिकी समाज और उसकी नीतियों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।

उनकी ये टिप्पणियाँ उस समय आई हैं जब अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के दो प्रभावशाली सदस्य - स्टीफन एफ. लिंच और राहेल स्वाइन - ने हाउस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव्स में 'अमेरिकन कॉम्पिटिटिवनेस एंड वर्कफोर्स इम्प्रूवमेंट एक्ट' का समर्थन किया है। इस कानून का मुख्य लक्ष्य H-1B और L-1 वीज़ा फीस को उन कंपनियों से लेना है, जिनके यहाँ H-1B वीज़ा धारक कुल वर्कफोर्स के 15% से ज़्यादा हैं या जिनके पास 50 से अधिक कर्मचारी हैं। यह कानून विशेष रूप से आउटसोर्सिंग और आईटी सेवा कंपनियों को प्रभावित कर सकता है, जिनमें भारत की बड़ी संख्या में भागीदारी है। जयशंकर के इस बयान से भारत का रुख स्पष्ट होता है कि वह वैश्विक श्रम गतिशीलता का समर्थन करता है और इससे जुड़े मुद्दों पर बातचीत के लिए तैयार है।

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