गुजरात किसान: गुजरात राज्य से 2 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने की घोषणा.. किसानों को उचित मूल्य दिलाने का फैसला

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गुजरात के किसानों: गुजरात सरकार ने राज्य के किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य दिलाने के उद्देश्य से “रवि विपणन सीजन 2025-26” के तहत राजकोट सहित पूरे राज्य से 2 लाख मीट्रिक टन गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदने की महत्वपूर्ण घोषणा की है। यह खरीद गुजरात राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लिमिटेड द्वारा की जाएगी। किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने तथा उन्हें उचित मुआवजा दिलाने के लिए यह कदम उठाया गया है।

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री निमूबेन बांभणिया ने इस संबंध में राजकोट कलेक्ट्रेट से गुजरात के सभी जिलों के अधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक की। बैठक में समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीद की तैयारियों की समीक्षा की गई। इस बीच, मंत्री ने कहा कि किसानों द्वारा अपना गेहूं खरीद केंद्र पर सौंपने के 48 घंटे के भीतर उनके खातों में पैसा जमा कर दिया जाएगा। यह तीव्र भुगतान प्रक्रिया किसानों के लिए बड़ी राहत साबित होगी।

इस बार राज्य में गेहूं उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि होने की संभावना है। अनुमान है कि राज्य में लगभग 42 लाख मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन होगा। इस बड़े पैमाने पर उत्पादन को ध्यान में रखते हुए सरकार ने 2 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा है। इस खरीद के बाद सरकार इस गेहूं का उपयोग राशन प्रणाली के तहत जरूरतमंदों को वितरित करने के लिए करेगी, ताकि स्थानीय स्तर पर गरीबों को खाद्यान्न मिल सके।

गेहूं की खरीद समर्थन मूल्य यानी 490 रुपये प्रति मन की दर से की जाएगी, जो 2,425 रुपये प्रति क्विंटल (एक क्विंटल = 100 किलोग्राम, और एक मन = 20 किलोग्राम) के बराबर है। यह मूल्य किसानों को उनकी उपज का उचित मुआवजा दिलाने के लिए निर्धारित किया गया है। इस खरीद के लिए राज्य भर में 218 खरीद केंद्र बनाए गए हैं, जिसका उद्घाटन आज यानी 24 मार्च 2025 को राजकोट जिले के पडधरी से मंत्री श्रीमती निमूबेन बांभानिया ने किया। पहले दिन ही पड़धरी केंद्र पर 250 क्विंटल गेहूं की खरीद की गई।

इसके अलावा, खरीद प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी बनाने के लिए किसानों को ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा प्रदान की गई है। पंजीकृत किसानों को एसएमएस के माध्यम से खरीद की सूचना दी जाएगी। खरीद के समय किसानों को अपना आधार कार्ड अथवा पहचान पत्र साथ लाना अनिवार्य है तथा खरीद प्रक्रिया केवल बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के माध्यम से ही पूरी की जाएगी। सरकार यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है कि यह योजना किसानों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी हो।