कांग्रेस से बढ़ती दूरी? शशि थरूर ने पार्टी नेतृत्व पर उठाए सवाल

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से चार बार सांसद रहे शशि थरूर और पार्टी के बीच इन दिनों मतभेद गहराते दिख रहे हैं। हाल ही में उन्होंने राहुल गांधी से मुलाकात कर अपनी नाराजगी जाहिर की, जिसमें उन्होंने कहा कि पार्टी उन्हें हाशिए पर धकेल रही है। थरूर ने कांग्रेस को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा, “अगर पार्टी को मेरी जरूरत नहीं है, तो मेरे पास अन्य विकल्प भी हैं।”

केरल कांग्रेस में नेतृत्व की कमी पर जताई चिंता

शशि थरूर ने केरल कांग्रेस में नेतृत्व की कमी पर चिंता जताई और कहा कि यदि पार्टी अपनी सीमित वोटबैंक पर ही निर्भर रही, तो उसे फिर से विपक्ष में बैठना पड़ सकता है। उन्होंने कांग्रेस से अपनी राष्ट्रीय और राज्य स्तर की अपील बढ़ाने का आग्रह किया, क्योंकि केवल परंपरागत वोटबैंक के भरोसे सत्ता में आना संभव नहीं होगा।

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थरूर ने कहा, “मुझे तिरुवनंतपुरम में जो समर्थन मिलता है, वह इस बात का प्रमाण है कि लोग मुझे पसंद करते हैं, क्योंकि मैं अलग तरीके से सोचता और कार्य करता हूं। यही दृष्टिकोण हमें 2026 के चुनावों में अपनाना होगा।”

“मेरे पास विकल्प हैं, कांग्रेस को यह समझना चाहिए”

शशि थरूर ने अपने भविष्य को लेकर कहा, “अगर पार्टी मुझे उपयोग करना चाहती है, तो मैं उपलब्ध हूं। यदि नहीं, तो मेरे पास अन्य कार्य हैं।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह पार्टी बदलने के बारे में नहीं सोच रहे हैं, लेकिन यह भी जरूरी नहीं कि कांग्रेस ही उनका एकमात्र विकल्प हो।

उन्होंने कहा, “मेरे पास किताबें लिखने के अवसर हैं, भाषण देने के निमंत्रण हैं और अन्य कार्य हैं।”

CWC सदस्यता पर भी उठाए सवाल

कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) में सदस्य बनाए जाने के बावजूद थरूर को कोई विशेष प्रभाव महसूस नहीं हुआ। उन्होंने कहा, “CWC अब एक छोटी समिति नहीं रही। इसमें 100 सदस्य होते हैं, और इसकी बैठकें बड़ी कॉन्फ्रेंस जैसी होती हैं, जहां व्यक्तिगत संवाद कम हो गया है।”

शशि थरूर के ये बयान कांग्रेस में आंतरिक असंतोष और नेतृत्व संकट को उजागर कर रहे हैं। अब देखना होगा कि पार्टी इस पर क्या रुख अपनाती है और क्या थरूर की भूमिका को फिर से महत्वपूर्ण बनाया जाता है।

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