जयपुर, 16 जून(हि.स.)। राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि प्रकृति और पर्यावरण की भारतीय संस्कृति का संरक्षण जरूरी है। उन्होंने अधिकाधिक पेड़ लगाए जाने का आह्वान करते हुए कहा कि प्रकृति के आंतरिक संतुलन को क्षति पहुंचाए बगैर विकास की सोच को मूर्त रूप दें। उन्होंने कहा कि वृक्ष एवं वनस्पतियां भूमि को उन्नत और उर्वरा ही नहीं बनाते बल्कि सबका भरण पोषण भी करते हैं।
मिश्र रविवार को श्री कल्पतरू संस्थान द्वारा आयोजित ”वृक्ष मित्र सम्मान समारोह” में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने संस्थान की ओर से वृक्ष मित्र के रूप में सर्वश्रेष्ठ स्वयंसेवक सम्मान के रूप में प्रतिदिन एक पौधा लगाकर उसे संरक्षित करने वाली उमा व्यास को सम्मानित किया। उन्होंने वृक्ष मित्र के रूप में पर्यावरण कार्यकर्ता के.पी. कनाल, अशोक थोरात, गौतमराज शर्मा, रेणु राष्ट्रदीप, संदीप, उषा, अंजू चौधरी, ऋषि, रितेश दुबे को सम्मानित किया। उन्होंने वहीं परिंदो के लिए परिण्डा अभियान की भी शुरूआत की।
उन्होंने कहा कि भारतीय सनातन दृष्टि प्रकृति पूजक रही है। इसके पीछे बड़ा वैज्ञानिक तथ्य यही है कि पारिस्थितिकी संतुलन बना रहे। उन्होंने राजस्थान में खेजड़ली में शमी वृक्ष ”खेजड़ी” के लिए किए गए बलिदान को स्मरण करते हुए कहा कि हमारे यहां पेड़ बचाने के लिए लोगों ने अपनी जान की भी परवाह नहीं की है। उन्होंने प्रकृति के पंचभूत तत्वों का उल्लेख करते हुए पेड़ लगाने और उनके संरक्षण के लिए भी सभी को कार्य करने पर जोर दिया।
राज्यपाल ने पेड़ों को धरती का शृंगार बताते हुए हरी- भरी धरा के लिए सबको मिलकर कार्य करने की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि इतने पेड़ लगे कि पर्यावरण का अपने आप संरक्षण हो। अधिक से अधिक लोग वृक्ष मित्र बनें। इससे पहले श्री कल्पतरु संस्थान के ”ट्री मैन ऑफ इण्डिया” के रूप में चर्चित विष्णु लाम्बा ने संस्थान की गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। राज्यपाल ने जयपुर एनवायरमेंट फेस्टिवल- प्री लांचिंग के पोस्टर का विमोचन किया। आरंभ में उन्होंने संविधान की उद्देशिका और मूल कर्तव्यों का वाचन करवाया।