कोलकाता, 03 मई (हि.स.)। राजभवन की एक संविदा महिला कर्मचारी द्वारा छेड़छाड़ का आरोप लगाए जाने के एक दिन बाद पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ. सी.वी. आनंद बोस ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें लगता है कि उनके खिलाफ ऐसे और भी आरोप लगेंगे। आरोपों को बेतुका नाटक करार देते हुए बोस ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का जिक्र करते हुए कहा कि कोई भी उन्हें भ्रष्टाचार को उजागर करने और हिंसा पर अंकुश लगाने के उनके दृढ़ प्रयासों से नहीं रोक पाएगा। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी की इसमें कोई भूमिका नहीं है। तृणमूल ने सच्चाई का पता लगाने के लिए आरोपों की निष्पक्ष जांच की मांग की।
राजभवन की ओर से जारी रिकॉर्ड किए गए एक बयान में बोस ने कहा कि मैं कुछ राजनीतिक ताकतों द्वारा मुझ पर लगाए गए सभी आरोपों और लगातार आक्षेपों का स्वागत करता हूं। मैं समझता हूं, मेरे दोस्तों, अभी और भी बहुत कुछ होने वाला है। लेकिन एक बात स्पष्ट है, कोई भी बेतुका नाटक मुझे भ्रष्टाचार को उजागर करने और हिंसा पर अंकुश लगाने के मेरे दृढ़ प्रयासों से नहीं रोक पाएगा।
बोस ने कहा, ‘‘राजभवन में एक और भयावह साजिश रची गई है।’’
उन्होंने आरोपों का मजाक उड़ाते हुए कहा कि एक दिन उन्हें 1943 में बंगाल के भीषण अकाल तथा 1946 में कलकत्ता में हुई हत्याओं के लिए भी दोषी ठहराया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह राज्य में काम कर रही राजनीतिक ताकतों की प्रकृति है।
राज्यपाल ने कहा, “मैंने कई तूफानों का सामना किया है। मैं, मेरे खिलाफ साजिश रच रहे उस राजनीतिक दल से कहता हूं कि यह कोई तूफान नहीं है। यह केवल तेज हवा की तरह है। अगर तुम्हें एहसास हो कि मैं तूफ़ान हूं तो आश्चर्यचकित मत होना। अपने शस्त्रागार से सभी हथियार बाहर लाओ। इसे मेरे खिलाफ इस्तेमाल करो। मैं चाहता हूं, मैं तैयार हूं। मैं बंगाल के अपने भाइयों और बहनों के मान-सम्मान के लिए अपनी लड़ाई जारी रखूंगा।”
पुलिस अधिकारियों ने कहा कि उन्हें एक शिकायत मिली है और वे इसकी जांच कर रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और उद्योग मंत्री शशि पांजा ने शुक्रवार को कहा कि इसके पीछे पार्टी का कोई एजेंडा और कोई भूमिका नहीं है। उन्होंने कहा कि छेड़छाड़ की कथित घटना चौंकाने वाली है और इस पर विश्वास करना मुश्किल है कि यह राजभवन के अंदर हुआ है। शशि ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘किसी राज्यपाल के खिलाफ इस तरह का आरोप पहले कभी नहीं लगा। इससे निश्चित रूप से राज्यपाल के पद की प्रतिष्ठा कम हुई है। हम मांग करते हैं कि इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।”